Arvind Kejriwal News: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार शाम को 4.30 बजे दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। पूर्व सीएम ने रविवार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह अपना पद छोड़ देंगे और दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महाराष्ट्र के साथ ही दिल्ली में चुनाव कराने की मांग की है। यहां पर 26 नवंबर से पहले नए सदन का चुनाव होना बेहद ही जरूरी है। हालांकि, दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव समय से पहले हो सकते हैं और इसके लिए हमारा कानून क्या कहता है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव कब होंगे, इसका फैसला कौन करता है?
संविधान के आर्टिकल 324 के तहत, चुनाव कराने की शक्तियां चुनाव आयोग के पास में हैं। इलेक्शन कमीशन मौजूदा सदन के पांच साल के कार्यकाल के खत्म होने की तारीख से पीछे की तरफ काम करता है। यह तय करते हुए कि चुनाव की प्रक्रिया उससे पहले पूरी की जाए। हालांकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15(2) कहती है कि चुनाव की अधिसूचना विधानसभा के कार्यकाल के खत्म होने से 6 महीने से कम समय पहले नहीं की जा सकती है।
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क्या कोई सीएम इलेक्शन कमीशन को समय से पहले चुनाव कराने के लिए बाध्य कर सकता है?
संविधान के आर्टिकल 174(2)(B) के मुताबिक, राज्यपाल समय-समय पर विधानसभा को भंग कर सकते हैं। मंत्रिपरिषद राज्यपाल को विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले उसे भंग करने की सिफारिश कर सकती है। इससे राज्यपाल को फैसला लेने पर मजबूर होना पड़ता है। विधानसभा भंग होने के बाद इलेक्शन कमीशन को छह महीने के अंदर चुनाव कराने होते हैं।
अब इसको एक उदाहरण के तौर पर देखें तो सितंबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में तेलंगाना मंत्रिमंडल ने विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की। इसका कार्यकाल जून 2019 में खत्म होना था। राज्यपाल ने सिफारिश को मान लिया और 2018 में विधानसभा चुनाव हुए। लेकिन दिल्ली का मामला पूरी तरह से अलग है। दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है।
दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 लागू होता है। जबकि अधिनियम की धारा 6(2)(B) कहती है कि एलजी समय-समय पर विधानसभा को भंग कर सकते हैं। भले ही दिल्ली का कोई मुख्यमंत्री विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करें। आखिरी फैसला एलजी के जरिये ही होता है। वैसे भी मौजूदा हालात में केजरीवाल ने सिर्फ इतना कहा था कि वे सीएम पद से इस्तीफा देंगे और जल्द चुनाव कराने की मांग की। ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वे विधानसभा को भंग करने की प्लानिंग कर रहे थे।
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चुनाव कार्यक्रम तय करने से पहले चुनाव आयोग किन बातों पर ध्यान देता है?
नई विधानसभा का गठन वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले होना जरूरी है। सीधे शब्दों में कहें तो इसमें चुनाव की प्रक्रिया, विनर का ऐलान और सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी करना भी शामिल हैं। यह सब कुछ वर्तमान विधानसभा के कार्यकाल खत्म होने से पहले पूरा किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग मौसम, सुरक्षाबलों, त्योहार और ईवीएम की खरीद के बाद ही प्लानिंग करता है। कार्यक्रम को फाइनल करने से पहले इलेक्शन कमीशन प्रशासनिक और पुलिस बलों की जानकारी लेने के लिए राज्य का दौरा करता है।
क्या दिल्ली में चुनाव कराने की कोई प्लानिंग?
इलेक्शन कमीशन का फोकस फिलहाल दिल्ली के चुनाव कराने पर नहीं है। चुनाव आयोग इस समय जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा हुआ है। यहां पर पहले फेज की वोटिंग 18 सितंबर को होगी। इसके बाद 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी। साथ ही हरियाणा में वोटिंग 5 अक्टूबर को होगी। इन दोनों राज्यों में काउंटिंग 8 अक्टूबर को होगी। इसके बाद महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं।