Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। महाराष्ट्र में विधानसभा की सभी 288 सीटों पर एक साथ 20 नवंबर को चुनाव होंगे, जबकि नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। महाराष्ट्र में इस समय एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महायुति की सरकार है। इस महायुति में एकनाथ शिंदे की शिवसेना, अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) शामिल है।

महायुति की ओर से एक बार फिर पूर्ण बहुमत की जीत के साथ सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। हालांकि महायुति की राह इस बार आसान नहीं होने वाली है। दरअसल इसकी वजह राज्य की रिजर्व सीटें हैं। महाराष्ट्र की आरक्षित सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगियों को 2014 के बाद से लगातार नुकसान हो रहा है।

2014 के बाद से भाजपा को नुकसान

महाराष्ट्र में भाजपा को 2014 के विधानसभा चुनावों से लेकर हाल में हुए लोकसभा चुनावों तक अनुसूचित जाति (एससी)-आरक्षित सीटों में गिरावट देखनी पड़ी है। वहीं, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) द्वारा दलित मतदाताओं को ध्यान में रखते ‘संविधान बचाओ’ के नारे से बहुत फायदा हुआ है।

2014 विधानसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन किया, जिसमें 29 आरक्षित सीटों में से 15 पर बीजेपी ने जीत हासिल की और शिवसेना ने 9 सीटें जीतीं। इस दौरान बीजेपी ने ऑल ओवर अच्छा प्रदर्शन किया था। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं था, जिसके चलते कई सीटों पर दोनों का आमना-सामना हुआ और दोनों को नुकसान का सामना भी करना पड़ा।

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एससी सीटों पर महायुति को हुआ नुकसान

एससी सीटों पर वोट शेयर की बात की जाए, तो भाजपा 2014 से 3.55 प्रतिशत अंकों की गिरावट के बावजूद 25.12 प्रतिशत पर शीर्ष पर थी। इसके अलावा एनसीपी और कांग्रेस दोनों में सुधार हुआ, जो 17.37 और 17.21 प्रतिशत हो गए, जबकि शिवसेना 15.53 प्रतिशत पर आ गई। यही कारण है कि भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति को पूरे राज्य में और विशेष रूप से इस वर्ष के लोकसभा चुनावों में एससी सीटों पर बड़ी हार का सामना करना पड़ा। एमवीए 2014 से सभी पांच एससी-आरक्षित सीटों को जीतने में सक्षम था, जिससे महायुति की सीटें शून्य हो गईं। कांग्रेस ने चार एससी सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने एक सीट जीती।

2019 विधानसभा चुनावों में खराब रहा प्रदर्शन

वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी और शिवसेना ने दो-दो एससी सीटें अपने नाम की थी, जबकि इस साल की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुईं निर्दलीय नवनीत रवि राणा ने आखिरी आरक्षित सीट जीती, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना का प्रदर्शन बहुत खराब रहा, बीजेपी ने 9 और शिवसेना ने 5 एससी सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, कांग्रेस और एनसीपी ने सात और छह सीटें जीतीं। इसके अलावा बाकी की दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।

बता दें कि महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटों में से 29 विधानसभा और पांच लोकसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं, जो 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी का 11.81 प्रतिशत है। महाराष्ट्र के 36 जिलों में से 21 में कम से कम 5 लाख अनुसूचित जाति वाले क्षेत्र हैं, जिसमें सबसे बड़ी एससी आबादी वाले जिले पुणे, नागपुर और ठाणे हैं। 29 आरक्षित विधानसभा सीटों के अलावा, 67 अन्य निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां दलितों की कुल आबादी का कम से कम 15 प्रतिशत है।