केंद्र सरकार ने इस हफ्ते असम में 80 से ज्यादा लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार बोडो उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के सोंगबीजीत धड़े (एनडीएफबी-एस)पर प्रतिबंध की अवधि पांच साल बढ़ा दी है। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि यह प्रतिबंध एनडीएफबी के सभी धड़ों पर प्रभावी होगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम)कानून के तहत प्रतिबंधित एनडीएफबी पर प्रतिबंध की अवधि पांच साल के लिए बढ़ाई जाती है। गृह मंत्रालय ने अपने आदेश के अनुमोदन के लिए दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा गठित न्यायाधिकरण का रुख किया है। सोंगबीजीत इंगति काथर की अगुआई वाले एनडीएफबी के वार्ता-विरोधी धड़े ने पिछले चार दिनों में असम के तीन जिलों में 80 से ज्यादा आदिवासियों की हत्या कर दी है।
इस बीच, केंद्र सरकार ने एनडीएफबी (प्रोग्रेसिव)के साथ ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस’ समझौते की अवधि 30 जून 2015 तक के लिए बढ़ा दी। एनडीएफबी (पी)के प्रतिनिधियों के साथ 22 दिसंबर 2014 को हुई बातचीत के बाद इस समझौते की अवधि बढ़ाई गई है। इस बैठक में असम सरकार और गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था।
अभियान होगा तेज: सेना प्रमुख
सेना ने बोडो उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों की हत्या के बाद शुक्रवार को असम में अपने अभियान को तेज करने का संकल्प लिया और अधिकारियों ने उग्रवादियों की धरपकड़ के लिए भूटान व म्यामां की सेनाओं के साथ समन्वित कार्रवाई पर विचार किया। इस बीच असम में मंगलवार को एनडीएफबी (एस)के उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों को मारे जाने के खिलाफ प्रदर्शन में कुछ आदिवासी संगठनों समेत अनेक समूहों द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के बंद से सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। पुलिस ने कहा कि एक ताजा घटना सामने आई है जिसमें एनडीएफबी(एस)के उग्रवादियों ने चिरांग जिले में भारत-भूटान सीमा पर एसएसबी के जवानों पर एक ग्रेनेड फेंका और उन पर गोली चलाईं। जवाब में उग्रवादियों पर भी गोली चलाई गईं।
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की जिसके बाद जनरल ने कहा कि सेना एनडीएफबी उग्रवादियों के खिलाफ अपना अभियान तेज करने जा रही है। उन्होंने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा,‘हम असम में निश्चित रूप से अपना अभियान तेज करेंगे।’ सेना प्रमुख ने कहा, ‘असम में सुरक्षा हालात का जायजा लेने के लिए बैठक की गई। मंत्री गुरुवार को असम में हालात का जायजा लेकर दो दिनी दौरे से वापस लौटे हैं।’ सूत्रों ने कहा कि समझा जाता है कि गृह मंत्री ने एनडीएफबी (एस)के खिलाफ भूटान और म्यामां की सेनाओं के साथ समन्वित अभियानों के मुद्दे पर चर्चा की। संगठन ने दोनों पड़ोसी देशों में अपना आधार बना रखा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी कल शाम भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगाय से बात की थी और बोडो उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्हें भूटान से समर्थन का आश्वासन भी मिला।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भूटान में सर्वोच्च स्तर पर नेतृत्व से बात की। हम अन्य पक्षों के साथ भी इस दिशा में काम कर रहे हैं जिनसे मदद की संभावना है।’ गुवाहाटी में एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि सेना असम के हिंसा प्रभावित जिलों में प्रभुत्व कायम करने के लिए सघन अभियान चला रही है। पुलिस के अनुसार मंगलवार को एनडीएफबी (एस)के उग्रवादियों के हमले, आदिवासियों द्वारा जवाबी हिंसा तथा पुलिस गोलीबारी में मृतक संख्या अब तक 81 हो गई है।
हालांकि प्रवक्ता के मुताबिक सेना ने ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ कूटनाम से कोई नया अभियान शुरू नहीं किया है जैसा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक वर्ग में बताया गया था। उन्होंने कहा,‘कमांडर जमीनी हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं और परिस्थिति से निपटने के लिए लगातार समीक्षाएं हो रहीं हैं।’ सेना के हेलिकॉप्टरों ने इलाके का हवाई सर्वेक्षण भी किया। जनरल सुहाग ने कहा कि असम में उग्रवाद निरोधक अभियानों के लिए सेना के 66 कॉलम (प्रत्येक कॉलम में 70 जवान)तैनात किए गए हैं। भारत-भूटान सीमा की रक्षा कर रहे सशस्त्र सीमा बल ने भी असम में अपने 2,000 जवानों को पहुंचाया है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सीईओ पी के तिवारी ने कहा कि कोकराझार, चिरांग, सोनितपुर और उदलगुड़ी जिलों के अनुमानित 72,675 लोगों ने 61 राहत शिविरों में शरण ली है।
इस बीच चार विपक्षी दलों ने शुक्रवार को मांग की कि हमले के लिए जिम्मेदार एनडीएफबी (एस)का निर्ममता से दमन किया जाए। भाकपा की प्रदेश इकाई के सचिव भोगेश्वर दत्ता ने कहा,‘हम हमलों की कड़ी निंदा करते हैं। उग्रवादियों के साथ कोई राजनीतिक समाधान निकाला जा सकता है। लेकिन अगर वे आतंकवादी हैं तो निर्ममता से उनका दमन होना चाहिए।’
भाकपा, एजीपी, राकांपा और सपा के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने 24-25 दिसंबर को हिंसा प्रभावित इलाकों का और सोनितपुर जिले में कुछ राहत शिविरों का दौरा किया।