भारत के लिए आज का दिन यानी कि शनिवार काफी खास रहने वाला है। खेल जगत के प्रेमियों के लिए भारत-पाकिस्तान का एशिया कप वाला मैच स्वागत के लिए तैयार खड़ा है तो दूसरी तरफ इसरो की तरफ से सूर्यान मिशन के तहत आदित्य L1 की लॉन्चिंग भी होने जा रही है। यानी कि खेल से लेकर विज्ञान तक, भारत इतिहास लिखने के बेहद करीब है। चाहे खेल हो या विज्ञान, भारत की सफलता पूरे देश को गौरवान्वित कर देगी, देशभक्ति की एक अद्भुत अलख जलती दिख जाएगी।

भारत-पाकिस्तान के बीच एशिया कप का मुकाबला

भारत और पाकिस्तान दो ऐसे मुल्क हैं जिनकी नफरत पूरी दुनिया के सामने जगजाहिर है, लेकिन जब बात खेल की आती है तो इन मुल्कों की भिड़ंत में सिर्फ क्रिकेट जीतता है। हर मुकाबला मनोरंजन की एक तगड़ी गारंटी लेकर आता है, सांसें थामकर बैठना हर बार लाजिमी रहता है और उतार-चढ़ाव तो लगातार ही आते रहते हैं। इस बार एशिया कप की मेजबानी कहने को पाकिस्तान को मिली है, लेकिन भारत की आपत्ति को देखते हुए मुकाबला श्रीलंका के पल्लेकेल इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में होने जा रहा है।

IND-PAK आमने सामने, कौन किस पर भारी?

अब इस मुकाबला से पहले ये समझना जरूरी है कि पिछले मुकाबले जो हुए हैं, उनमें भारत और पाकिस्तान का कैसा प्रदर्शन रहा है। असल में एशिया कप दोनों वनडे और टी20 के फॉर्मेट में हो चुका है। कुल 16 बार भारत और पाकिस्तान की सीधी भिड़ंत रही हैं। यहां भी सिर्फ एक मैच को छोड़ दिया जाए तो दोनों ही देशों के बीच में हर बार क्रिकेट का तगड़ा और करीबी मुकाबला देखने को मिला है।

वनडे की बात करें तो एशिया कप में जो 13 बार मुकाबला हुआ है, वहां पर भारत ने कुल सात बार पाकिस्तान को हराया है। वहीं पांच मौकों पर भारत को भी पाकिस्तान के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। आंकड़े बताते हैं कि साल 1984, 1988, 2008, 2010, 2012 में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को पराजय दी है। वहीं साल 2018 में तो दो मौकों पर एशिया कप के दौरान पाकिस्तान को शिकस्त का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान के रिकॉर्ड की बात करें तो उसने 2000, 2004, 2008 और 2014 में भारत को हराने का काम किया है।

पिच क्या कहती है, मौसम कैसा रहने वाला है?

अब इस बार भारत के समय अनुसार दोपहर तीन बजे दोनों देशों के बीच में ये मुकाबला होने जा रहा है। जिस पल्लेकेले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में ये मुकाबला होने जा रहा है, वहां की पिच बल्लेबाजी के लिए मुफीद मानी जाती है। लेकिन गेंदबाजों को भी मदद मिल सकती है। इस पिच तेज गेंदबाजों के लिए स्विंग और उछाल रहने वाला है, ऐसे में पाकिस्तान और भारत दोनों के ही पेसर्स इसका फायदा उठा सकते हैं। बीच के ओवर्स में पुरानी गेंद से स्पिनर्स को भी मदद मिलने की उम्मीद है।

इस स्टेडियम का एक आंकड़ा बताता है कि यहां जो कुल 33 वनडे मुकाबले हुए हैं, उनमें 14 बार वो टीम जीती है जिसने पहले बल्लेबाजी की है, वहीं 18 बार उस टीम को जीत मिली जिसने टारगेट का पीछा किया। ऐसे में टॉस एक अहम भूमिका निभाने जा रहा है। वैसे टॉस के साथ-साथ मौसम भी भारत-पाकिस्तान वाले इस मैच में महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। असल में बालागोला तूफान की वजह से आज बारिश की पूरी संभावना है, मैच के दौरान भी 68 फीसदी बारिश का अनुमान जताया जा चुका है।

आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग

चंद्रयान 3 के सफल होने के बाद इसरो पर पूरे देश की निगाहें हैं क्योंकि अब भारत एक और इतिहास लिखने के बेहद करीब है। भारत अपने पहले सन मिशन को भेजने की तैयारी कर रहा है। सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से इसे लॉन्च किया जाएगा। इसरो आदित्य एल-1 की मदद से सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 को सूरज और पृथ्वी के बीच में लैरेंज प्वाइंट-1 में रखा जाएगा। पृथ्वी से एल-1 प्वाइंट की दूरी करीब 15 लाख किमी है।

चंद्रयान के बाद इस मिशन की क्या जरूरत?

इसरो अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 के तहत सूरज से निकलने वाली किरणों का जांच करेगा। आदित्य एल-1 को सूरज और पृथ्वी के बीच में लैरेंज प्वाइंट-1 पर रखा जाएगा। आदित्य एल-1 में लगे 7 पेलोड्स सूरज से निकलने वाली विभिन्न किरणों का अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी भी करेगा। अब भारत से पहले भी कुछ देश उस प्वाइंट तक जा चुके हैं, लेकिन वहां पर पहुंचने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में चंद्रयान 3 की तरह यहां भी इसरो वैज्ञानिकों की राह कोई आसान नहीं रहने वाली है।

सबसे बड़ी चुनौती क्या रहने वाली है?

असल में आदित्य एल-1 मिशन के सामने सबसे पहली कठिन समस्या है कि वह धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर निकलना। क्योकि पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण शक्ति से अपने आस पास मौजूद हर चीज को अपने तरफ खींचती है। इसके बाद अगला बड़ा पड़ाव है क्रूज फेज और हैलो फेज। अगर इन दोनों फेज में आदित्य एल-1 की गति नियंत्रित नहीं हुई तो आदित्य एल-1 सीधा सूरज की तरफ चला जाएगा और सूरज के तप में जलकर खाक हो जाएगा।