हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका बुधवार को 60 वर्ष के हो रहे हैं और इसी के साथ उनका 33 साल 7 महीने लंबा प्रशासनिक कार्यकाल समाप्त हो गया। अपने करियर में उन्हें 57 बार तबादले का सामना करना पड़ा। अक्टूबर 2012 में खेमका ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ‘स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी’ और DLF यूनिवर्सल लिमिटेड के बीच गुरुग्राम स्थित जमीन के सौदे में कथित अनियमितताओं को रद्द कर जांच की सिफारिश की थी। इस प्रकरण को सामने लाने के बाद वह चर्चा में आए। इस मामले को सामने आए 12 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और न ही किसी को दोषी ठहराया गया है।
कई बार कम महत्व के विभागों में किया गया तबादला
15 अप्रैल 2025 को रॉबर्ट वाड्रा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष 2007-08 की इसी जमीन डील से संबंधित पूछताछ में पेश हुए थे। वाड्रा-DLF भूमि सौदे को उजागर करने के बाद खेमका को मुद्रण एवं स्टेशनरी, पुरातत्व और अभिलेखागार जैसे विभागों में स्थानांतरित किया गया। इन विभागों को अपेक्षाकृत कम सक्रिय माना जाता रहा है।
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खेमका का प्रशासनिक कार्यकाल हरियाणा के सात मुख्यमंत्रियों – ओम प्रकाश चौटाला, भजन लाल, बंसी लाल, भूपिंदर सिंह हुड्डा, मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी – के कार्यकालों के दौरान रहा। कई बार उन्हें ऐसे विभाग दिए गए, जहां कोई ठोस काम नहीं होता था। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2023 में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सतर्कता विभाग में पोस्टिंग मांगी थी। उन्होंने लिखा, “अगर मौका मिला तो भ्रष्टाचार के खिलाफ असली युद्ध होगा। कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो, बख्शा नहीं जाएगा।”
आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक, TIFR से पीएचडी और एमबीए, फिर एलएलबी करने वाले खेमका को प्रशासनिक ज्ञान और नैतिक साहस दोनों का अद्भुत मिश्रण माना गया। उन्होंने एक बार ट्वीट कर कहा था, “सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं। कोई पछतावा नहीं, नए संकल्प के साथ काम करता रहूंगा।”
आज जब वह सिस्टम को अलविदा कह रहे हैं, तब उनका दावा है कि उनका नाम उन अफसरों में लिखा जाएगा, जो किसी के सामने झुके नहीं, बल्कि सच के साथ खड़े रहे — हर कीमत पर।