नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में 29 महीने से जोधपुर जेल में बंद आसाराम की जमानत याचिका जिला एवं सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को एक बार खारिज कर दी। उनकी जमानत याचिका पर आसाराम के वकील और बीजेपी नेता डा. सुब्रमण्यम स्वामी की दलीलों को नकारते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से साफ इनकार कर दिया।
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जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास के समक्ष स्वामी ने मुख्यरूप से पीड़िता की आयु और आसाराम की बढ़ती उम्र का हवाला दिया था, लेकिन न्यायाधीश ने साफ कहा कि आसाराम की बढ़ती आयु जमानत का आधार नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि अभी तक आप लोग पीड़िता को बालिग भी साबित नहीं कर पाए हो।
चार जनवरी को आसाराम की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की तरफ से बहस पूरी हो गई थी और न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। स्वामी ने कहा था कि आसाराम 76 वर्ष है। ऐसे में उनकी उम्र को ध्यान में रखते हुए जमानत दी जानी चाहिए।
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आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा का आरोप है कि 15 अगस्त 2013 को आसाराम ने जोधपुर के निकट मणाई गांव में स्थित एक फार्म हाउस में उसका यौन उत्पीड़न किया। 20 अगस्त 2013 को उसने दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के लिए उसे जोधपुर भेज दिया था। इसके बाद जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया था। जोधपुर पुलिस 31 अगस्त 2013 को इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार करके लाई थी।