भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम पर सहमति को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक ओर जहां सीमावर्ती इलाकों के लोगों के लिए इसे राहत भरा कदम बताया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने इस फैसले पर केंद्र सरकार से चार तीखे सवाल भी दागे हैं। ओवैसी ने पूछा कि पाकिस्तान की ओर से बार-बार संघर्षविराम उल्लंघन के बावजूद आखिर सरकार ने अचानक शांति की पहल क्यों की? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब-जब भारत पर कोई बाहरी हमला हुआ है, तब-तब उन्होंने सरकार और भारतीय सेना के साथ खड़े होकर हर मंच पर उसका विरोध किया है और आगे भी करते रहेंगे। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार की ‘चुप्पी’ और ‘रणनीति’ को लेकर उन्होंने गंभीर चिंता जताई है।
भारतीय सेना की बहादुरी को सलाम किया
ओवैसी ने भारतीय सेना की बहादुरी को सलाम करते हुए हाल ही में शहीद हुए जवान एम. मुरली नायक और एडीसीसी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि दी। साथ ही उन्होंने संघर्ष के दौरान घायल और जान गंवाने वाले नागरिकों के लिए प्रार्थना की।
सीजफायर को लेकर उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को कुछ चैन मिलेगा, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में कोई ढील नहीं दी जानी चाहिए। ओवैसी ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान अपनी ज़मीन से भारत के खिलाफ आतंक फैलाने वालों को संरक्षण देता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से चार सीधे सवाल पूछे:
सीजफायर की घोषणा किसी विदेशी नेता ने क्यों की?
ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब शिमला समझौते के बाद भारत हमेशा तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करता आया है, तो अब क्यों यह स्वीकार किया गया? उन्होंने आशंका जताई कि इससे कहीं कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण न हो जाए।
तटस्थ देश में बातचीत पर सहमति क्यों दी गई?
उन्होंने पूछा कि बातचीत का एजेंडा क्या है और क्या अमेरिका यह गारंटी देगा कि पाकिस्तान भविष्य में अपनी धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं करेगा?
क्या हम अपने रणनीतिक लक्ष्य में सफल हुए?
ओवैसी ने पूछा कि क्या भारत का उद्देश्य केवल संघर्ष विराम था या पाकिस्तान को आतंकी हमलों से रोकने की कोई ठोस रणनीति भी बनी है?
FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को रखने की मुहिम जारी रहेगी या नहीं?
उन्होंने कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना दबाव बनाए रखना चाहिए ताकि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ ठोस कदम उठाने को मजबूर हो।
ओवैसी ने भारतीय राजनीति को भी आइना दिखाते हुए कहा कि जब देशवासी आपस में बंटते हैं, तब हमारे दुश्मन मजबूत होते हैं। देश को एकजुट होकर ही आतंक और सीमापार दुश्मनों का जवाब देना होगा।