दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरविंदर सिंह लवली ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन से नाराज चल रहे लवली ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, अब वो कदम भी शनिवार को उठा लिया गया। उनके साथ राजकुमार चौहान ने भी बीजेपी का दामन थामा है।
लवली ने क्या बोला?
राजकुमार चौहान ने कहा कि कांग्रेस में अभी ऐसा वक्त है कि वे किसी की सुनते नहीं है और खासकर प्रभारी महासचिव या राहुल गांधी कहते हैं कि जो जा रहा है उसे जाने दो, उसे रोको मत। वे नई पीढ़ी तैयार कर रहे हैं, पता नहीं वे कौनसे ख्यालों में हैं? वहीं अरविंदर सिंह लवली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोला कि हमें भाजपा के बैनर तले और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दिल्ली की जनता के लिए लड़ने का मौका दिया गया है, इसके लिए मैं शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद करता हूं… मुझे पूरी उम्मीद है कि देश में प्रचंड बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी, आने वाले दिनों में दिल्ली में भी भाजपा का परचम लहराएगा।
नाराजगी के 10 कारण क्या है?
अभी के लिए कांग्रेस काफी नाराज है और इसे एक धोखे के रूप में देख रही है। DPCC के अंतरिम अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने पहले ही (कांग्रेस से) इस्तीफा दे दिया था। कुछ लोगों की फितरत पार्टी को धोखा देने की होती है। उनका चरित्र सामने आ गया है और उनके जाने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
यहां पर आपको 10 बड़े कारण बताते हैं जिस वजह से लवली ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था-
करण नंबर 1– डीपीसी के विरोध के बावजूद भी कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया
कारण नंबर 2– करप्शन के आरोप जिस पार्टी पर लगे हैं उसी से हाथ मिलाने का काम हुआ
करण नंबर 3 कांग्रेस इस बार दिल्ली में सिर्फ तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि आम आदमी पार्टी को चार सीटें दी गईं
करण नंबर 4– वरिष्ठ नेताओं के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली गई
कारण नंबर 5– नॉर्थ ईस्ट ओर नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में इस बार कांग्रेस ने बाहरी नेताओं पर भरोसा जताया
कारण नंबर 6– कांग्रेस के नेताओं को कई अहम फैसलों में शामिल ही नहीं किया गया
कारण नंबर 7 सिर्फ विरोध करने के लिए राजकुमार चौहान को पार्टी ने सस्पेंड कर दिया
कारण नंबर 8– नॉर्थ वेस्ट दिल्ली कैंडिडेट ने पार्टी विरोधी बयान दे दिया, लेकिन कोई भी एक्शन नहीं हुआ
करण नंबर 9– जो कांग्रेस के दिल्ली इंचार्ज हैं, छोटे से मामले को और ज्यादा बढ़ा बनाने का काम किया
करण नंबर 10– दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष के पास नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है