दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी जेल से बाहर नहीं निकल सकेंगे। हाईकोर्ट में उनकी जमानत पर सोमवार को सुनवाई की गई। कोर्ट ने जमानत पर फैसला अभी सुरक्षित रख लिया है। सीबीआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी किए बिना इस मामले की जांच नहीं की जा सकती थी। गिरफ्तारी के बाद उनके खिलाफ कई सबूत मिले हैं। सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और उम्मीदवार ही जवाब देने सामने आ गए है। ये पहले नहीं आ रहे थे। हमें पंजाब से सबूत मिले हैं, जो पहले सामने नहीं आया था। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।

सीबीआई ने क्या दी दलील

सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि जैजे-जैसे इस मामले में जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे कई सबूत हाथ लग रहे हैं। सीबीआई अरविंद केजरीवाल के अलावा पी. सरथ चंद्र रेड्डी, दुर्गेश पाठक, विनोद चौहान, आशीष माथुर और अमित अरोरा का नाम चार्जशीट में शामिल किया है। सीबीआई ने चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल आबकारी नीति घोटाले मुख्य सूत्रधार बताया है। सीबीआई के वकील ने कहा कि कैबिनेट के मुखिया के तौर पर अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे अपने सहयोगियों को भेजा और एक ही दिन में उनके हस्ताक्षर ले लिए। यह सबकुछ कोरोना महामारी के दौरान हुआ है।

सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में अब तक 44 करोड़ रुपये की राशि का पता लगाया जा चुका है। गोवा में चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया गया। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने खुद उम्मीदवारों से कहा था कि पैसों की चिंता मत करो, तुम चुनाव लड़ो। सीबीआई ने कहा कि हमारे पर इस बात से सबूत हैं कि सभी उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान 90 लाख रुपये दिए जाने थे।

सीबीआई ने 26 जून को किया था गिरफ्तार

सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को शराब नीति घोटाला के जुड़े मामले में 26 जून को राउज एवेन्यू कोर्ट से गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने पिछली सुनवाई में कोर्ट में बताया था कि रिश्वत लेने के बाद दिल्ली की आबकारी नीति के जरिए फायदा उठाने के लिए मन-मुताबिक बदलाव किया गया था। बता दें कि ईडी की ओर से दाखिल किए गए मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल चुकी है लेकिन सीबीआई के मामले में वह जेल में बंद हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि हमारे पास इस मामले में पैसे का पूरा ट्रेल मौजूद है। सीबीआई ने आरोप लगाया कि साउथ ग्रुप के कहने पर ही पूरी पॉलिसी में बदलाव किया गया था।