Delhi News: आम आदमी पार्टी को देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सत्ता खोए हुए करीब 100 दिन का वक्त हो गया है। इसके बाद आप अशांत राजनीतिक दौर से गुजर रही है। कभी अपने हाइपरलोकल गवर्नेंस मॉडल के लिए जानी जाने वाली पार्टी की दिल्ली में मौजूदगी राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही तरह से कम हो गई है। पार्टी आंतरिक असंतोष, अपने वोटर्स के बीच राजनीतिक डर से भी जूझ रही है। इतना ही नहीं जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के उत्साह की भी कमी देखी जा रही है।

दिल्ली विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या 62 से घटकर महज 22 रह गई थी। आप ने एमसीडी पर भी अपनी पकड़ खो दी। हाल ही में हुए मेयर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की। आप को अपने पार्षदों के दलबदल का भी सामना करना पड़ा है। दिल्ली में मिली हार से आगे बढ़ने की कोशिश में आप ने अपनी राष्ट्रीय विस्तार रणनीति के तहत दिल्ली नेतृत्व को नए राज्यों में नई भूमिकाएं सौंपी हैं।

इनमें से कई तो पंजाब में लगे हुए है। पंजाब में ही आप की सरकार बची हुई है। पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन वहां पर चुनावी रणनीति का नेतृत्व कर रहा है। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल भी राज्य पर अपना ध्यान लगा रहे हैं। दिल्ली के पूर्व संयोजक गोपाल राय को गुजरात भेजा गया है, जबकि कई मीडियम लेवल पर नेताओं को अन्य चुनावी राज्यों में तैनात किया गया है।

आप के पार्षदों ने नई पार्टी का किया गठन

हालांकि, एक खालीपन पैदा हो गया है। यह केवल शीर्ष नेतृत्व की गहरी चुप्पी की वजह से है। 18 मई को दिल्ली की आप इकाई में अव्यवस्था की अटकलों की पुष्टि तब हुई जब आप के टिकट पर चुने गए 15 पार्षदों ने अपने इस्तीफे देकर एक नए राजनीतिक मोर्चे इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन की घोषणा की। कुछ दिनों बाद एक और पार्षद भी इसमें शामिल हो गया। इससे उनकी संख्या कुल 16 हो गई।

कैलाश गहलोत भी नहीं आ रहे नजर

इतना ही नहीं चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामने वाले आप के पूर्व विधायक भी अब सार्वजनिक तौर पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। इनमें कैलाश गहलोत भी शामिल हैं। पूर्व परिवहन मंत्री और आप के प्रमुख चेहरे सार्वजनिक और पार्टी गतिविधियों से काफी हद तक गायब रहे हैं। आप के कई लोगों ने इस चुप्पी को एक रणनीतिक वापसी के तौर पर देखा है। पार्टी की चुनौतियों को और बढ़ाने वाली हैं इसकी बागी राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल। कभी पार्टी के भीतर महिला अधिकारों की मुखर पैरोकार रहीं स्वाति मालीवाल, केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार पर हमला करने का आरोप लगाने के बाद नेतृत्व के साथ तीखी नोकझोंक के बाद पार्टी की सबसे मुखर आलोचकों में से एक बन गई हैं।

रेखा सरकार के 100 दिन

विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने सार्वजनिक तौर पर शासन की विफलताओं को उजागर कर दिया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह रुख बीजेपी के कैंपेन के साथ काफी हद तक मेल खाता है। दिल्ली में आप की हार के बाद मालीवाल ने अपना ध्यान पंजाब पर फोकस कर लिया। यहां पर उन्होंने कानून-व्यवस्था की जमकर आलोचना की।

कानूनी मामले

इस बीच बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाना जारी रखा है। इसी तरह का बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान किया था। मई में दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने 24 अस्पतालों के निर्माण में कथित अनियमितताओं को लेकर पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और जैन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए केंद्र से इजाजत मांगी थी।

सिसोदिया और जैन पर दिल्ली सरकार की एसीबी ने 2,000 करोड़ रुपये के क्लासरूम घोटाले के सिलसिले में मामला दर्ज किया है। केजरीवाल के खिलाफ द्वारका में अवैध होर्डिंग्स लगाने में धन के कथित गलत इस्तेमाल के लिए भी मामला दर्ज किया गया है। शराब घोटाले की सुनवाई कोर्ट में जारी है।

अब आगे क्या होगा?

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रोजाना की जिम्मेदारियां कुछ खास लोगों के हाथों में आ गई है। दिल्ली राज्य के संयोजक के तौर पर अपनी नई भूमिका में भारद्वाज स्थानीय पार्टी मामलों को मैनेजमेंट कर रहे हैं। वहीं विपक्ष की नेता आतिशी बिजली कटौती और प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर मुखर रही है। पार्टी के मुताबिक, आतिशी ने हाल ही में आप के लिए एक छोटा सा मुद्दा दे दिया है। यह है प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर। सैकड़ों अभिभावक सड़कों पर उतर आए थे, वहीं आप विधायकों और कार्यकर्ताओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया था।

सरकारी सब्सिडी खत्म करना और शिक्षा की घटती क्वालिटी के मुद्दे पर आप ने बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। विपक्ष के तौर पर पार्टी के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर भारद्वाज ने कहा, ‘अगर आप दिल्लीवासियों से पूछें तो कम से कम 15-16 लोग कहेंगे कि हमें AAP की कमी खल रही है। यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में मैंने व्यक्तिगत रूप से पूछा है और कई लोगों ने इसकी पुष्टि की है। दूसरे, लोग MCD में बीजेपी के 15 साल के लंबे शासन को भूल गए थे, इसलिए वे किसी तरह उनके नारों और प्रधानमंत्री की गारंटी से प्रभावित हो गए। अब, उन्हें एहसास हो गया है कि यह वही पुरानी भाजपा है जो पहले थी।  मंत्रियों के साथ कटआउट में सीएम रेखा गुप्ता