दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने कोर्ट से शराब घोटाले से जुड़े मामले बंद करने की मांग की है। केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर संज्ञान लेने के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने इसके लिए मंजूरी नहीं होने की दलील दी है। साथ ही ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के फैसले को भी चुनौती दी है।

केजरीवाल की ओर से दिया गया ये तर्क

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मांग की है कि उनके ख‍िलाफ ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर तुरंत रोक लगा दी जाए। याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने कथित आदेश में पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध का संज्ञान लेने में गलती की है। अभियोजन के लिए सीआरपीसी की धारा 197 (1) के तहत पूर्व मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन उनके मामले में ईडी ने ऐसा नहीं किया है। याचिका में कहा गया है कि यह विशेष रूप से जरूरी है क्योंकि अरविंद केजरीवाल कथित अपराध के समय एक लोक सेवक (मुख्यमंत्री) थे।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि ईडी और सीबीआई का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने गलत तरीके से शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया और बदले में उनसे रिश्वत ली। इस पैसे का इस्तेमाल पंजाब और गोवा चुनाव के लिए किया गया। केजरीवाल को इस मामले में इसी साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई 2024 को ईडी से जुड़े मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। लेकिन सीबीआई के मामले में वो जेल से बाहर नहीं आ पाए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को उन्हें सीबीआई के मामले में भी जमानत दे दी।

इसी मामले में अरविंद केजरीवाल के अलावा पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पार्टी नेता विजय नायर को भी जेल जाना पड़ा था। कोर्ट से इन सभी नेताओं को जमानत मिल चुकी है। इस मामले में अगली सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में 21 नवंबर को होगी।