दक्षिण दिल्ली में मोदी लहर पर आप की सुनामी भारी पड़ी। इस चुनाव में दक्षिण दिल्ली के तमाम दिग्गजों को जनता ने सबक सिखा दिया। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक हर दूसरे आदमी ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया। कभी न हार सकने वाले नेताओं से लेकर रेकार्ड जीत हासिल करने वाले नेताओं को आप निगल गया। नरेंद्र मोदी के विजयी रथ का मार्ग अवरूद्ध करते हुए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो एक तरफा जीत हासिल की है, वह दक्षिण दिल्ली के लिए भी ऐतिहासिक मानी जा रही है। माना जा रहा है कि अवैध निर्माण में लिप्त नेता बना बिल्डर लाबी की करतूतों पर लगाम लगेगी।
दक्षिण दिल्ली में ऐसा पहली बार हुआ भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों का एक भी उम्मीदवार नहीं जीता। इस बार पहली बार सभी सीटों ओखला, बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम बिहार, कालकाजी, देवली, आंबेडकरनगर, महरौली, बिजवासन, पालम पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं। चौंकाने वाली बात यह भी रही कि यहां के विधानसभा क्षेत्रों के वे नेता जो व्यक्तिगत माद्दा पर चुनाव लड़ते थे और एक-दूसरे को निपटाकर अपना सिक्का बुलंद करने की राजनीति करते थे, इस बार साफ हो गए। राम सिंह नेताजी जी, रामवीर सिंह, सतवीर सिंह, शीशपाल, रमेश बिधूड़ी, सुभाष चोपड़ा, इनमें गिने जा सकते हैं। इसके अलावा जीत का रिकार्ड बना चुके प्रेम सिंह (कांग्रेस), पार्टी बदल भाजपा का दामन थामे बूटा सिंह के बेटे अरविंदर सिंह लवली, छतरपुर से तीन बार विधायक रहे बलराम तंवर (कांग्रेस) की इस बार जमानत ही जब्त हो गई। जबकि बदरपुर से राम सिंह, कालकाजी से सुभाष चोपड़ा, महरौली से सतबीर सिंह (तीनों कांग्रेसी)मुश्किल से जमानत बचा पाए।
बहरहाल ,भाजपाई मिजाज वाला दिल्ली का दक्षिणी हिस्से में इस बार जश्न का माहौल है। यहां के दस विधानसभाओं में जनता का फैसला कई संदेश दे रहा था। बदरपुर में चुनाव पार्टी लीग से हटकर व्यक्तिगत माद्दा पर होता आया है। राम सिंह बनाम रामबीर सिंह बिधूड़ी के नाम पर बदरपुर में चुनाव लड़ा जाता रहा है। राम सिंह कांग्रेस से तो रामबीर सिंह बिधूड़ी भाजपा से मैदान में थे। इस बार दोनों निपट गए। इन्हें आप के नरायण दत्त शर्मा ने हराया। मुख्य मुकाबला शर्मा और बिधूड़ी के बीच रहा, राम सिंह बमुश्किल जमानत बचा पाए। यहां आप को 66632 वोट मिले तो बिधूड़ी को 24172 वोट मिले। जीत और हार का अंतर 42 हजार से ज्यादा का रहा। कांग्रेसी राम सिंह को 18 हजार वोट पर संतोष करना पड़ा, जबकि यहां एक लाख से थोड़े कम वोट पड़े थे।
तुगलकाबाद में इस बार चार बार से लगातार विधायक रहे और बीते लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में सासंद बने रमेश बिधूड़ी अपनी प्रतिष्ठा नहीं बचा सके। भतीजे को भाजपा का टिकट दिलाने पर भाई-भतीजावाद का आरोप झेल रहे रमेश बिधूड़ी को जनता ने सबक सिखाया। यहां से भाजपा के उम्मीदवार सचिन बिधूड़ी को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सही राम ने 33 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। सही राम को करीब 65 हजार वोट मिले जबकि बिधूड़ी को आधे से भी कम (30 हजार) वोट मिले। कांग्रेसी उम्मीदवार सचिन बिधूड़ी की जमानत जब्त हो गई।
संगम विहार सीट पर आप के निवर्तमान विधायक दिनेश मोहानिया ने भाजपा के पूर्व विधायक एससीएल गुप्ता को करीब 44 हजार वोट से हराया। मोहानिया को करीब 72 हजार और गुप्ता को 28 हजार वोट मिले। इस सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार विशन स्वरूप अग्रवाल, पूर्व सांसद सज्जन कुमार की प्रतिष्ठा नहीं बचा सके। उनकी जमानत जब्त हो गई। इस सीट पर एक लाख नौ हजार से ज्यादा वोट पड़े थे, उसमें से अग्रवाल को महज 3423 वोट मिले।
कालकाजी में तीन बार विधायक रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेसी उम्मीदवार सुभाष चोपड़ा तीसरे नंबर पर चले गए, वे मुश्किल से जमानत बचा पाए। यहां आप के अवतार सिंह ने भाजपा समर्थित अकाली उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक हरमीत सिंह कालका को करीब 20 हजार वोटों से हराया। आप को करीब 55 हजार, भाजपा-अकाली को 35 हजार वोट मिले। कांग्रेस को 13 हजार वोट पर संतोष करना पड़ा। महरौली के नतीजे भी चौंकाने वाले रहे। यह उन सीटों में शामिल थी जिन सीटों पर कांग्रेसी मन और ‘धन’ से लगे थे। यहां से कांग्रेस के बागी रहे सतबीर सिंह ने तय रणनीति से कांग्रेसी का टिकट पाया था।
इसके लिए उन्होंने पिछले चुनाव में घोषित तौर पर तत्कालीन उम्मीदवार योगानंद शास्त्री के खिलाफ भाजपा के तब के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा का समर्थन किया और शास्त्री को हरा कर यह सीट खाली कराई। उन्हें मालवीय नगर भेजा गया और सतवीर इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार बनने में सफल हो गए। लेकिन बिल्डर छवि वाले इस नेता पर जनता ने भरोसा नहीं किया, उनकी जमानत जब्त होती बची। यहां आप के उम्मीदवार नरेश यादव ने भाजपा की उम्मीदवार पूर्व महापौर और सांसद रमेश बिधूड़ी से अच्छे संबंधों के लिए जानी जाने वाली सरिता चौधरी को करीब 17 हजार मतों के अंतर से हराया। दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी अपने क्षेत्र के सभी दस सीटों में से दो सीटों पर दिल जान से लगे थे उनमें भतीजे की सीट संगम विहार के अलावा दूसरी सीट महरौली ही थी। दोनों सीटों पर बिधूड़ी की कुछ नहीं चली।
छतरपुर में चाचा-भतीजे की लड़ाई में भतीजे की जीत हुई। यहां से निवर्तमान विधायक भाजपा के उम्मीदवार ब्रह्म सिंह (40405)को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार करतार सिंह (67645) ने करीब 27 हजार वोटों से हराया। कांग्रेस के तीन टर्म विधायक रहे बलराम तंवर की जमानत जब्त हो गई, उन्हें महज 9339 वोट ही मिल पाए जबकि इस सीट पर करीब सवा लाख वोट पड़े थे। देवली सीट ने इस बार दक्षिण दिल्ली में अपना नाम सबसे ज्यादा मतदान करने और सभी सीटों में से सबसे ज्यादा अंतर से जीत-हार वाली सीट के रूप में खुद को दर्ज किया। यहां एक लाख 34 हजार वोट पड़े। यहां आप के निवर्तमान विधायक प्रकाश जरवाल ने बूटा सिंह के बेटे भाजपा उम्मीदवार अरविंदर सिंह लवली को करीब 64 हजार के भारी अंतर से हराया। कांग्रेसी उम्मीदवार राजेश चौहान यहां पांच हजार से कम में सिमट गए।
कुल मिला कर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार जीत ने सभी अनुमानों को विफल कर दिया। दिल्ली में 16 साल बाद सत्ता वापसी की चाहत पाले बैठी भारतीय जनता पार्टी के सपने एक बार फिर आप ने चकनाचूर कर दिए। 49 दिन की सरकार छोड़कर भागने का आरोप झेलने वाले अरविंद केजरीवाल ने जो वापसी की उसकी उम्मीद खुद उन्हें भी नहीं थी। तभी तो केजरीवाल ने कहा -दिल्ली ने तो कमाल कर दिया।
प्रियरंजन