केंद्र और दिल्ली सरकार के मध्य तनाव और रस्साकशी बढ़ने के बीच, आम आदमी पार्टी (आप) नीतीश कुमार को ‘‘टैक्टिकल सपोर्ट’’ दे सकती है। पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।

आप के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न उजागर करने की गुजारिश पर बताया कि पार्टी भाजपा के खिलाफ प्रचार करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जंग में कूद सकते हैं।

नेता ने कहा, ‘‘ हम पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि हम बिहार चुनाव लड़ने नहीं जा रहे हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे और लोगों को बताएंगे कि कैसे नरेंद्र मोदी सरकार हमें काम नहीं करने दे रही है और दिल्ली सरकार के कामकाज में अड़चने पैदा कर रही है।‘‘

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच मौजूद रस्साकशी अगर बंद नहीं हुई तो अरविंद (केजरीवाल) भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ व्यापक अभियान चला सकते हैं। हमारे पार्टी के नेता और राज्य कैडर भी खुद को इस प्रचार में शामिल करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि राज्य में आप का जनाधार नहीं है लेकिन पार्टी भाजपा के कुछ प्रत्याशियों के लिए परेशानी जरूर पैदा कर सकती है।

पार्टी नेता ने कहा, ‘‘भले ही हमारी असरदार संख्या न हो लेकिन हम तीन-चार प्रतिशत मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इससे भाजपा की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है जो संभवत: मोदी के नाम पर बिहार का चुनाव लड़ेगी।’’

दिल्ली में करारी शिकस्त के बाद बिहार में भाजपा की हार का मतलब होगा कि मोदी के चेहरे की चमक फीकी पड़ रही है। राज्य में सितंबर अक्तूबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।

केजरीवाल का बिहार में अपने समकक्ष के साथ अच्छा तालमेल है। लोकसभा चुनाव के दौरान जद(यू) अध्यक्ष शरद यादव ने वाराणसी में केजरीवाल के लिए प्रचार भी किया था।

जब नेता से पूछा गया कि क्या आप कुमार को अपना समर्थन देने के लिए सार्वजनिक तौर पर ऐलान करेगी तो नेता ने जवाब दिया, ‘‘हम नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ प्रचार करने जा रहे हैं।’’

लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा और आप के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। पहले चरण में केजरीवाल मोदी का मुकाबला करने वाराणसी पहुंच गए। लेकिन केजरीवाल मोदी से हारे और उनकी पार्टी भाजपा के हाथों दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटें हार गई।

बहरहाल, केजरीवाल की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला दिल्ली विधानसभा चुनाव में लिया और 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा को तीन सीटों पर समेट दिया।