विरोधियों की आलोचना पर बौखलाहट तो समझ आ सकती है पर अपनों की बेबाक राय को भी नहीं सह पाना पार्टी नेताओं की असहिष्णुता का परिचायक है।

इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भक्तिभाव दिखाने की प्रवृत्ति का भी सबूत मिलता है। कबीर ने आलोचक को मित्र समझ कर साथ रखने की सलाह दी थी पर भाजपा नेताओं को कबीर की सलाह कतई नहीं भाती।

पीयूष गोयल ने जहां शौरी को पदलोलुप साबित करने की कोशिश की है, वहीं दूसरों को भी चेताया है कि जो शौरी की राह चलेगा, उसकी भी इसी अंदाज में निंदा करेंगे।

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