पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी ने विभिन्न मुद्दों पर द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत की। आइडिया एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अरुण शौरी ने मौजूदा केन्द्र सरकार और उसकी नीतियों पर जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही अरुण शौरी ने देश की गिरती अर्थव्यवस्था और लोकतांत्रिक संस्थाओं को लेकर भी चिंता जाहिर की। बातचीत के दौरान अरुण शौरी ने आरएसएस पर भी अपने विचार जाहिर किए।

अरुण शौरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी आरएसएस के साथ जुड़े हुए थे लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह उनकी तरह से सोचते थे। आज आरएसएस का मध्यम नेतृत्व पूरी तरह से सरकार के साथ चल रहा है। आज उनके पास आधिकारिक गाड़ियां हैं और उन्हें सैल्यूट किया जाता है। यह एक गलतफहमी है कि नरेंद्र मोदी आरएसएस को लेकर सचेत हैं।

अरुण शौरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जानते हैं कि आरएसएस का वरिष्ठ नेतृत्व सिर्फ दिखावा है। सभी राज्यों के आरएसएस के नेता और हर जिले के मुख्य नेता मोदी के ‘हाथ’ में हैं। अब वह उनके ‘उपकरण’ हैं और वर्चस्व बनाने के लिए विचारधारा हमेशा से एक उपकरण रही है।

मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर होते हुए अरुण शौरी मे कहा कि श्रीमति गांधी में कई खासियतें थीं जैसे कि उनमें शर्म थी….लेकिन मौजूदा सरकार में वो भी नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में जो कुछ हो रहा है वह बीते 40 सालों का प्रतिफल है।

उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि संस्थान, जांच एजेंसियां और पुलिस सभी सीएम की निजी सेना बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट को लेकर अरुण शौरी ने कहा कि आज कोर्ट के पास अर्नब गोस्वामी और सुशांत सिंह राजपूत के मामलों को सुनने का समय है लेकिन कश्मीर और प्रवासियों के मुद्दे पर सुनवाई के लिए समय नहीं है।

लोकतांत्रिक संस्थाओं को लेकर चिंता जाहिर करते हुए अरुण शौरी ने कहा कि सभी संस्थाओं के स्तर में लगातार कमी देखने को मिल रही है। फिर चाहे वो संसद हो, विधायिका, नौकरशाही, न्यायपालिका और मीडिया।

मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अरुण शौरी ने कहा कि यह सरकार नियमों को बिल्कुल नहीं मान रही है। जैसे संसद में कई बिल राज्यसभा भेजे ही नहीं गए। यह समय-समय पर हो रहा है। शौरी ने मौजूदा सरकार में चीन की घुसपैठ, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन या फिर अदालतों में रिफॉर्म आदि कई बातों को लेकर पारदर्शिता की कमी साफ दिखाई दे रही है।