Arun Jaitley Death News: दिवंगत बीजेपी नेता अरुण जेटली को पूरा देश याद कर रहा है। जेटली एक कद्दावर नेता ही नहीं, बल्कि देश के टॉप के वकीलों में भी उनकी गिनती होती थी। अपनी कानूनी समझ की वजह से जेटली ने काफी नाम कमाया। छात्र राजनीति में सक्रिय और इमर्जेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले जेटली ने 1977 में जनता पार्टी के सरकार में आने के बाद कानून की डिग्री हासिल की और आगे चलकर एक मशहूर वकील बने।
द इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक रामनाथ गोयनका भी उनकी योग्यता से बेहद प्रभावित थे और उन्होंने जेटली को अपने अखबार का लीगल एडवाइजर नियुक्त किया। 1980 में यह अखबार इंदिर गांधी सरकार से कई मोर्चों पर टक्कर ले रहा था। जेटली उस इंडियन एक्सप्रेस बिल्डिंग के सब कुछ थे, जिसके एक हिस्से को सरकार ने गिराने तक की धमकी दे दी थी। जेटली ने सत्ता के खिलाफ अखबार के प्रमुख अभियानों पर पैनी नजर रखी और यह सुनिश्चित किया कि कुछ भी अपमानजनक न छपे। जेटली का इस अखबार के प्रति हमेशा एक विशेष लगाव रहा। हालांकि, वह खुद कई बार अखबार के विचारों से सहमत नहीं होते थे।
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जेटली को राजनीति में बड़ा ब्रेक पीएम वीपी सिंह ने दिया। सिंह ने जेटली को महज 36 साल की उम्र में 1989 में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया। जेटली ने बोफोर्स घोटाले की जांच में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि, जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो जेटली को हमेशा वो सब कुछ नहीं मिला, जिसकी संभवत: उन्होंने कामना की हो।
जेटली को शुरुआत में लालकृष्ण आडवाणी का आदमी समझा जाता था और आरएसएस से आशीर्वाद प्राप्त प्रमोद महाजन उन्हें एक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखते रहे। हालांकि, जब जेटली को कानून, सूचना एवं प्रसारण और कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई तो उन्होंने अपनी योग्यता साबित की। बीजेपी जब सत्ता से बाहर हुई तो जेटली न केवल पार्टी के जनरल सेक्रेटरी थे, बल्कि उन्होंने प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी संभाली। इस दौरान उन्होंने अपनी वकालत की प्रैक्टिस भी जारी रखी।
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2009 में बीजेपी ने जेटली को राज्यसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी दी। इसकी वजह से उन्हें कानूनी प्रैक्टिस छोड़नी पड़ी, जो आर्थिक तौर पर एक बड़ा बलिदान भी था। जेटली को महंगी कलम, घड़ियां और शॉल इकट्ठे करने का शौका था। वह खाने-पीने के भी शौकीन थे। अमृतसरी फिश और भटूरे उनके पसंदीदा डिश थे। उनके पूरे करियर के दौरान उन पर भ्रष्टाचार का एक दाग भी नहीं लगा। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि जेटली के दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन के प्रमुख रहते कई अनियमितताएं हुईं। बाद में जेटली के मानहानि केस के बाद दिल्ली के सीएम को माफी मांगनी पड़ी थी।