संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप कांग्रेस पर मढ़ते हुए सरकार ने आज कहा कि विपक्षी दल को सूझबूझ का परिचय देकर संसद चलने देनी चाहिए।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस ने लंबे समय तक देश पर शासन किया है और हम उम्मीद करते हैं कि वह सूझबूझ का परिचय देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उन मुद्दों पर संसद में पहले चर्चा करनी चाहिए, जिन्हें लेकर वह आंदोलित है।

जेटली ने कहा कि कांग्रेस सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए शोर मचा रही है। इसका यही मतलब है कि वह जनादेश का सम्मान नहीं कर रही है। जेटली ने कहा कि अधिकांश राजनीतिक पार्टियां चाहती हैं कि संसद चले। उन्होंने कांग्रेस से कहा कि वह जिम्मेदारी दिखाये क्योंकि उसने देश पर काफी लंबे समय तक शासन किया है। उन्होंने कांग्रेस से कहा कि वह संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही चलने दे।

जेटली ने सरकार की ओर से आज बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अधिकांश राजनीतिक दल चाहते हैं कि गतिरोध दूर हो। जेटली ने कहा कि अब मुख्य विपक्षी दल अलग थलग पड़ गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करेंगे कि इस मुद्दे पर अलग थलग पड़ी कांग्रेस जिम्मेदारी की भूमिका निभाएगी क्योंकि उसने लंबे समय तक देश पर शासन किया है। उम्मीद है कि कांग्रेस संसद की कार्यवाही चलने देगी।’’

उन्होंने कहा कि राज्यसभा में भी अधिकांश सदस्यों की राय है कि चर्चा होनी चाहिए। ना सिर्फ सरकार के समर्थक दल बल्कि कई अन्य विरोधी दल भी ऐसा ही चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संसद की कार्यवाही में गतिरोध पैदा करने को लेकर अपने रूख पर पुनर्विचार करना चाहिए।

जेटली ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ जैसे कई मुद्दे हैं और कृषि से जुड़े मुद्दे हैं, जिन्हें सदस्य उठाना चाहते हैं। जीएसटी विधेयक जैसे आर्थिक विधेयक हैं, जिन पर चर्चा कर उन्हें पारित करना है।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ओर से राज्यसभा में दिये गये बयान की चर्चा करते हुए जेटली ने कहा कि सुषमा को जवाब देने का अधिकार है। विपक्ष का आरोप है कि सुषमा ने आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को ब्रिटिश सरकार से यात्रा दस्तावेज हासिल करने में मदद की थी।

जेटली ने कहा कि सुषमा के जवाब से कांग्रेस निराश है। इसी वजह से वह कार्यवाही से सुषमा के बयान को समाप्त कराना चाहती थी।

उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही में भाजपा ने विपक्ष में रहते जो बाधा पहुंचायी थी, उसकी तुलना कांग्रेस के मौजूदा विरोध से नहीं की जा सकती क्योंकि भाजपा ने प्राथमिकी दर्ज होने या कैग की रिपोर्ट आने जैसे साक्ष्यों के बाद ही संसद की कार्यवाही बाधित करने का कदम उठाया था।