मनोज कुमार मिश्र
आम आदमी पार्टी (आप) में दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बाद शुरू से ही नंबर दो की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया के भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने के बाद तमाम सवाल खड़े होने लगे हैं। प्रचंड बहुमत से पंजाब में सरकार बनाने के बाद भले ही दूसरे राज्यों में ‘आप’ को बड़ी सफलता नहीं मिली, लेकिन मजबूती से गुजरात और गोवा विधानसभा चुनाव ने उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलवा दिया।
उससे उत्साहित होकर ‘आप’ नेता इस साल अनेक राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करने लगे हैं।सिसोदिया की गिरफ्तारी के बावजूद केजरीवाल विधानसभा चुनावों वाले राज्यों का दौरा करने में जुट गए हैं। दिल्ली का मुख्यमंत्री होने के बावजूद उन्होंने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा। कैलाश गहलोत इस बार दिल्ली का बजट पेश करेंगे।
2011 के दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अण्णा हजारे के आंदोलन में शामिल अनेक नेताओं ने 26 अक्तूबर, 2012 को आम आदमी पार्टी के नाम से राजनीतिक दल बनाकर 2013 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ना तय किया। ‘आप’ को 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 30 फीसद वोट और 28 सीटें मिलीं।
भाजपा ने 34 फीसद वोट के साथ 32 सीटें जीतीं और दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस को 24.50 फीसद वोट के साथ महज आठ सीटें मिलीं। कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई और 49 दिन चलाई। फिर चुनाव हुए। कांग्रेस की कमजोरी और भाजपा की अधूरी तैयारी के कारण और बिजली-पानी मुफ्त के वादे ने ‘आप’ को 2015 के चुनाव में दिल्ली विधानसभा में रेकार्ड 54 फीसद वोट के साथ 67 सीटों पर जीत दिलवा दी।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में फिर उन्होंने कीर्तिमान 54 फीसद वोट के साथ 62 सीटें जीतीं। 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में तो ‘आप’ को सफलता नहीं मिली लेकिन पंजाब में बेहतर नतीजे मिले। 2022 मेंं ‘आप’ ने शानदार जीत दर्ज की। उसे न केवल 92 सीटें मिली बल्कि ‘आप’ के उम्मीदवारों ने पंजाब के सभी दिग्गजों को धूल चटा दी।
2017 के दिल्ली नगर निगमों के चुनाव में ‘आप’ भले ही भाजपा को सत्ता में आने से नहीं रोक पाई लेकिन हाल के नगर निगम चुुनाव में विजयी रही। दिल्ली सरकार की नई शराब नीति पर उपराज्यपाल की ओर से 22 जुलाई, 2022 को सीबीआइ जांच के आदेश दिए। मनीष सिसोदिया पर शराब नीति में गड़बड़ी करने के आरोप में सीबीआइ छापा मार चुकी थी। ईडी भी जांच कर रही थी। कहा जा रहा था कि सिसोदिया के घर से कुछ भी नहीं निकला। अब मुख्यमंत्री केजरीवाल भी जांच के घेरे में हैं।
शराब नीति बनाना या उससे बदलाव करना राज्य सरकार के अधिकार का मामला होता है। संसद में 2021 में हुए बदलाव के बाद इसकी भी अंतिम मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी थी। 2021 की नई शराब नीति में हुए बदलाव से सरकार की आमदनी करीब तीन हजार करोड़ बढ़ने का अनुमान था। दिल्ली सरकार का पिछला बजट 69 हजार करोड़ रुपए का था।
मार्च 2021 में जब नई आबकारी नीति दिल्ली सरकार ले आई जिसमें अन्य बदलावों के साथ-साथ शराब खरीदने वालों की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल करना तय किया तब सरकार का अनुमान था कि इस नई शराब नीति से शराब से आमदनी करीब तीन हजार करोड़ रुपए बढ़ जाएगी।
इसी बदलाव में घर-घर शराब मंगवाने की सुविधा दी गई, जो विरोध के कारण इस बार भी सिरे नहीं चढ़ पाई। नई नीति से आमदनी बढ़ने के बजाए घटने पर उसे बदलकर पिछली नीति लागू की गई। यह भी तब की गई जब उपराज्यपाल ने इस मुद्दे को सीबीआइ के पास भेज दिया था। आरोप तो काफी हैं, बताते हैं एक के बाद एक मामले सामने आते जाएंगे। इससे ही ‘आप’ के रणनीतिकार डरे हुए हैं।