ब्रह्मोस एयरस्पेस प्राइवेट लि. के इंजीनियर रहे शख्स को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है। उस पर आरोप था कि वो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी कर रहा था। आरोपी ऐसे मामले में जेल में बंद है जिसमें अधिकतम सजा केवल तीन साल ही हो सकती है।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस एएस किलोर ने अपने फैसले में कहा कि साढ़े चार साल से आरोपी जेल में बंद है। उन्हें हालात देखकर नहीं लगता कि ट्रायल खत्म होने के आसार भी नहीं दिख रहे। लिहाजा उसे जमानत पर रिहा किया जाना ही न्यायसंगत है। आरोपी को बेल बॉन्ड भरने को कहा गया है।
2018 में आर्मी इंटेलीजेंस के साथ यूपी एटीएस ने किया था अरेस्ट
आरोपी निशांत अग्रवाल ब्रह्मोस एयरस्पेस प्राइवेट लि. का इंजीनियर था। वो नागपुर में तैनात था। उसे 2018 में आर्मी इंटेलीजेंस के साथ यूपी एटीएस ने संयुक्त मुहिम चलाते हुए अरेस्ट किया था। आरोप था कि वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी कर रहा था। टेक्नीकल रिसर्च सेक्शन में तैनात निशांत के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। उसके बाद से वो जेल में ही बंद है। हालांकि इससे पहले भी एक बार उसने धीमे ट्रायल का हवाला देकर जमानत की अर्जी लगाई थी। लेकिन 2022 में सरकारी वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि छह महीने के भीतर ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा।
निशांत ने अपने वकील एसवी मनोहर के जरिये फिर से जमानत की अर्जी लगाई। मनोहर का कहना था कि निशांत साढ़े चार साल से जेल में बंद है। अभी तक उसके खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हो सका है। उनका कहना था कि वैसे भी ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत अधिकतम सजा केवल तीन साल की है। उनका मुवक्किल साढ़े चार साल जेल में काट चुका है।
अभी तक केवल छह गवाहों के बयान दर्ज हो सके हैं, 11 की गवाही बाकी
मनोहर का कहना था कि सरकार अभी तक ये बात साबित नहीं कर सकी है कि निशांत ने जो कुछ किया वो देश को नुकसान पहुंचाने के लिए था। वैसे भी मामले में अभी तक केवल छह गवाहों के बयान दर्ज हो सके हैं। 11 के बयान दर्ज किए जाने बाकी हैं। सारे गवाह यूपी के हैं। मामले में हर बार कम से कम एक माह के अंतराल में तारीख पड़ती है, क्योंकि गवाहों को यूपी से आना पड़ता है। हाईकोर्ट 25 हजार के बेल बॉन्ड भरने पर निशांत को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।