पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को आईएएफ के विमान से दोपहर करीब साढ़े 12 बजे दिल्ली के पालम हवाईअड्डे लाया गया है। पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के परिवार के सदस्यों के अनुरोध पर उनका अंतिम संस्कार तमिलनाडु के रामेश्वरम में किया जाएगा।

इससे पहले ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार शाम यहां भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) में एक व्याख्यान के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो इस साल 15 अक्तूबर को 84 साल के हो जाते। उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है।

आज सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर  शिलांग में दी गई पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि।

केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। सरकार ने एक बयान में कहा कि दिवंगत हस्ती के सम्मान में देशभर में 27 जुलाई से दो अगस्त तक (दोनों दिन शामिल) राजकीय शोक रहेगा। निधन पर शोक जताने के लिए मंगलवार सुबह 10 बजे कैबिनेट की विशेष बैठक होगी। पूर्व राष्ट्रपति के राजकीय अंतिम संस्कार के समय, तारीख और स्थल की सूचना संबंधी घोषणा बाद में की जाएगी। हालांकि उनके परिजन उनका अंतिम संस्कार उनके गृह नगर रामेश्वरम में करना चाहते हैं।


डॉक्टर कलाम को शाम करीब साढ़े छह बजे व्याख्यान के दौरान गिरने के बाद नाजुक हालत में बेथनी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया। उसके दो घंटे से अधिक समय बाद उनके निधन की पुष्टि की गई। शाम को करीब पांच बजकर 40 मिनट पर भारतीय प्रबंधन संस्थान पहुंचने के बाद कलाम ने कुछ समय आराम किया।

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उसके बाद शाम छह बजकर 35 मिनट पर ‘जीवन योग्य ग्रह’ विषय पर अपना व्याख्यान शुरू किया। आइआइएम शिलांग के निदेशक प्रोफेसर डे ने बताया कि इसके पांच मिनट बाद ही कलाम गिर पड़े। कलाम ने अंतिम ट्वीट किया था, ‘जीवन जीने योग्य ग्रह पर आइआइएम में क्लास लेने के लिए शिलांग जा रहा हूं।’

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शाम सात बजे उन्हें संस्थान से करीब एक किलोमीटर दूर बेथनी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डे ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें बताया कि कलाम का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। डॉ. कलाम का इलाज करने वाले एक डॉक्टर ने बताया कि उनका अस्पताल पहुंचने से पहले ही निधन हो चुका था। अस्पताल लाए जाने के बाद उन्हें देखने वाले विशेषज्ञ डॉ. एएम खरबामोन ने संवाददाताओं को बताया कि उन्हें पौने आठ बजे मृत घोषित कर दिया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या अस्पताल लाए जाने से पूर्व उनका निधन हो चुका था, खरबामोन ने बताया कि कलाम में प्राण होने के कोई लक्षण नहीं थे लेकिन इसकी घोषणा नहीं की गई थी।

यहां लाए जाने के समय उनकी सांस नहीं चल रही थी, नाड़ी भी नहीं चल रही थी, कोई रक्तचाप नहीं था और उनकी पुतलियां फैल चुकी थीं। उन्होंने कहा कि हरसंभव प्रयास किए गए लेकिन उन्हें होश में नहीं लाया जा सका। उन्हें 7.45 बजे मृत घोषित कर दिया गया। मौत का कारण अचानक दिल का दौरा पड़ना था। डॉ. खरबामोन समेत पांच डाक्टरों की टीम ने पूर्व राष्ट्रपति की चिकित्सा जांच की।

डॉक्टर कलाम के पार्थिव शरीर को सैन्य अस्पताल ले जाया गया है। रात में उसे वहीं रखा जाएगा। वायुसेना के हेलिकॉप्टर से पार्थिव शरीर को मंगलवार सुबह साढ़े पांच बजे गुवाहाटी ले जाया जाएगा। उसके बाद विशेष विमान से दिल्ली ले जाया जाएगा।

कलाम को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की खबर मिलने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचे मेघालय के राज्यपाल वी षणमुगम ने बताया कि कलाम ने शाम सात बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली। चिकित्सकों की अथाह कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका।

संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को कलाम को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके सम्मान में सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने की संभावना है।

डॉक्टर कलाम 15 अक्तूबर को 84 साल के होने वाले थे। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने वाले कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए उनके नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। वह राजनीतिक गलियारों से बाहर के राष्ट्रपति थे।

एवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर, अटल बिहारी वाजपेयी की राजग सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रपति पद तक पहुंचे। वाम दलों को छोड़कर सभी दलों में राष्ट्रपति पद पर उनकी उम्मीदवारी को लेकर सर्वसम्मति बनी और बड़े शानदार तरीके से वह राष्ट्रपति चुने गए।

माना जाता है कि भारत के मिसाइल कार्यक्रम के पीछे मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलोजी से एअरोनोटिक्स इंजीनियरिंग करने वाले कलाम का ही सोच था। वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पूर्व राष्ट्रपति ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण में निर्णायक भूमिका निभाई। बतौर राष्ट्रपति कलाम ने छात्रों से संवाद के हर मौके का इस्तेमाल किया और खासतौर से स्कूली बच्चों को उन्होंने बड़े सपने देखने को कहा ताकि वे जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल कर सकें।

पूर्व राष्ट्रपति ने विवाह नहीं किया था। वह वीणा बजाते थे और कर्नाटक संगीत में उनकी खास रुचि थी। वह जीवन पर्यंत शाकाहारी रहे।

कलाम के निधन की खबर आते ही उनके पुश्तैनी नगर रामेश्वरम में शोक की लहर दौड़ गई। उनके बड़े भाई और दूसरे रिश्तेदार शोकाकुल हैं। कलाम के घर के बाहर लोग बड़ी संख्या में जमा हो गए और पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक जताया और उनको श्रद्धांजलि दी। पूर्व राष्ट्रपति के भाई 99 साल के मोहम्मद मुथू मीरा लेबाई मारैकर बहुत रो रहे थे। उनकी मांग है कि वे अपने भाई का चेहरा देखना चाहते हैं।

उनके बेटे जैनुलआबुदीन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को रामेश्वरम लाने की संभावना के बारे में अधिकारियों से बातचीत हो रही है। कलाम के परिवार के सदस्य घर में विलाप करते देखे गए। पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में स्थानीय मस्जिद को बंद किया गया है। इलाके के लोगों ने पूर्व राष्ट्रपति के मधुर स्वभाव को याद किया। लोगों ने इस बात का जिक्र खासतौर पर किया कि वह इतने बड़े मुकाम तक पहुंचने के बाद भी बेहद सरल स्वभाव के थे।