बयान और विपक्ष

हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष किसानों के मुद्दे पर बीच-बीच में बयान देकर विपक्ष के नेता होने का दंभ भरते हैं और अपना फर्ज भी निभाते हैं। पर उनके अलावा पार्टी के अधिकतर पदाधिकारी सोशल मीडिया पर ट्वीट कर या फिर पोस्ट कर विपक्ष में होने का एहसास दिलावाते रहते हैं। अब तो राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर चर्चा होने लगी है कि सालों तक सत्ता में काबिज रही पार्टी विपक्ष की भूमिका निभा पाने में कामयाब होती नहीं दिख रही है।

यदि वक्त रहते पार्टी के पदाधिकारियों ने इस पर विचार नहीं किया तो पार्टी को शून्य से शिखर तक पहुंचने के लिए और लंबा वक्त लग सकता है। हालांकि, कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। कभी भी कुछ भी हो सकता है।

सक्रियता बढ़ी

दिल्ली सरकार से बकाया राशि के बवाल ने एक बार फिर भाजपा की राजनीति को सक्रिय कर दिया है। इस सक्रियता के बाद पुराने चेहरे दिल्ली की राजनीति में फिर से सक्रिय नजर आ रहे हैं। इस सक्रियता ने नए कैंप में बैचेनी बढ़ा दी है। पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्षों की सक्रियता के बाद यह असर इन दिनों पार्टी के नेताओं में चर्चा का कारण बना हुआ है। निगम चुनाव नजदीक होने की वजह से भाजपा के सक्रिय कैंप ने भी इस समय दिल्ली के दंगल में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं।

जुर्माना और सुर्खियां

स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने के लिए नोएडा प्राधिकरण जहां करोड़ों रुपए खर्च कर पूरी मुस्तैदी के साथ लगा है। वहीं, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अधिकारी जागरूकता या समझाने के बजाए जुर्माना लगाकर केवल मीडिया की सुर्खियों तक खुद को सीमित रख रहे हैं।

औद्योगिक महानगर में घर-घर से कचरा उठाने की सफल मुहिम के बाद बड़े पैमाने पर जैविक कचरा पैदा करने वाले संस्थानों और प्रतिष्ठानों को अपने परिसर में जैविक कचरे को खाद में तब्दील करने वाली मशीन लगाना अनिवार्य किया गया था। इसको लेकर करीब डेढ़ साल पहले प्राधिकरण ने ऐसे संस्थानों को नोटिस जारी कर मशीन लगाने के लिए सचेत किया था।

कोरोना काल में नोटिस पर अनुपालन और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई रुक गई। विगत एक-डेढ़ महीने से अधिकारिक स्तर पर एकाएक इस मुहिम में फिर तेजी तो आई है। लेकिन केवल जुर्माना लगाने तक। इसी वजह से विगत डेढ़ महीनों के दौरान जैविक कचरे को खाद में तब्दील करने वाली मशीन नहीं होने पर दर्जनों प्रतिष्ठानों पर हजारों से लाखों रुपए का जुर्माना लगाया गया।

वहीं, जिन प्रतिष्ठानों पर मशीन नहीं लगाने की एवज में जुर्माना लगाया है, वहां निर्धारित अवधि के बाद भी मशीन लगी है या नहीं? इसका कोई ब्योरा नहीं रखा गया है। नतीजतन जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी औचक तरीके से नए प्रतिष्ठानों की जांच कर मशीन नहीं होने पर जुर्माना लगा रहा है लेकिन जहां पहले जुर्माना लगाया गया, उन पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही है।
-बेदिल