इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने गुरुवार (29 नवंबर) को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्वदेशी सैटेलाइट हायपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट (हायसिसः HysIS) समेत 31 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। ये सभी सुबह नौ बजकर 58 मिनट पर पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV)-C43 की मदद से छोड़े गए थे। इन 31 सैटेलाइट्स में हायसिस के अलावा आठ देशों के कुल 30 सैटेलाइट हैं, जिनमें अमेरिका (23), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड्स और स्पेन के नाम शामिल हैं।

इन 31 सैटेलाइट्स का कुल वजन 641.5 किलो है। हालांकि, बाकी के 30 सैटेलाइट्स सुबह साढ़े 11 बजे के बाद ऑर्बिट में पहुंचेंगे। तिरुवतंनपुरम और लखनऊ स्थित इसरो की ऑब्जर्वेशन यूनिट लगातार इन पर नजर बनाकर रखेंगी। इसरो ने कहा कि प्रक्षेपण के लिए 28 घंटे की उलटी गिनती बुधवार सुबह पांच बजकर 58 मिनट पर शुरू हुई थी। रॉकेट चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गुरुवार सुबह नौ बजकर 58 मिनट पर रवाना हुआ।

हियासिस की मिवधि पांच साल की है और इसका प्रमुख उद्देश्य विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के अवरक्त (इन्फ्रारेड) और शॉर्टवेव अवरक्त क्षेत्रों के नजदीक दृश्य पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है।

बता दें कि पृथ्वी की निगहबानी के मकसद से इसरो ने इसका निर्माण किया है। हायसिस, ऑप्टिकल इमेजिंग डिटेक्टर ऐरे तकनीक से लैस है। यानी इसकी मदद से पृथ्वी के कोने-कोने पर निगरानी की जा सकेगी। यही नहीं, यह फसलों के लिए काम आने वाली जमीन का आंकलन करने में भी सक्षम होगी। साथ ही यह पृथ्वी पर 65 विभिन्न रंगों की पहचान भी कर सकेगी।

यह पीएसएलवी की 45वीं उड़ान थी। इसमें हायसिस प्राथमिक सैटेलाइट है, जबकि 20 सितंबर 1993 को पीएसएलवी ने पहली बार उड़ान भरी थी। लॉन्च को लेकर इसरो ने कहा, “पीएसएलवी-सी 43 ने पृथ्वी निगरानी उपग्रह हायसिस को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया है।” इससे पहले, इसरो ने 14 नवंबर को अपना कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-29 लॉन्च किया था।

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