कर्नाटक की हार के बाद दक्षिण में बीजेपी और ज्यादा कमजोर हो गई है। उसे नए अवसर तलाशने हैं, नए साथियों की जरूरत है और फिर दक्षिण में कहां से एंट्री की जाए, इस पर विचार करना है। आंध्र प्रदेश भी एक ऐसा राज्य है जहां पर बीजेपी लंबे समय से अपनी पैठ जमाना चाहती है। लेकिन सवाल ये उठता है कि कैसे? इसकी एक झलक देखने को मिल गई है, लेकिन पार्टी किस तरफ जाएगी, इसकी स्पष्टता नहीं।

नायडू को फिर पसंद बीजेपी का साथ!

असल में कुछ दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की। उस मुलाकात को संकेत माना गया कि चंद्रबाबू एक बार फिर एनडीए के साथ जुड़ सकते हैं। अगर ऐसा हो जाए तो आंध्र प्रदेश में बीजेपी को बड़ा बूस्टर मिलेगा। अब नायडू से मुलाकात हुई ही थी, केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बड़ी मदद कर दी।

रेड्डी को भी खुश करने में लगी बीजेपी

इस समय आंध्र प्रदेश में Polavaram project पर काम चल रहा है, ये एक डैम परियोजना है जिसके लिए सीएम काफी उत्साहित हैं। अब इसी प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत थी जो अब केंद्र सरकार ने रिलीज कर दिया है। कुल 12,911 करोड़ रुपये केंद्र ने दे दिए हैं, इस सहायता से ये प्रोजेक्ट जल्द ही पूरा हो जाएगा। यानी कि पिछले कुछ दिनों में दो बड़ी बातें हुईं- पहली चंद्रबाबू नायडू की वापसी की अटकलें और दूसरी रेड्डी की पार्टी में भी साथी की तलाश।

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गिव एंड टेक वाली राजनीति

अब बीजेपी कैसे संतुलन बैठाती है, किसे ज्यादा तवज्जो देती है, ये मायने रखता है। अभी नायडू और रेड्डी तो साथ नहीं आने वाले हैं, ऐसे में चयन बीजेपी को ही करना पड़ेगा। वैसे सीएम रेड्डी लगातार कई मामलों में केंद्र का समर्थन करते दिख रहे हैं। असल में इस समय एक गिव एंड टेक वाली पॉलिसी चल रही है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि केंद्र ने जब आंध्र के डैम परियोजना के लिए फंड रिलीज किया, रेड्डी की पार्टी ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार नहीं किया और विपक्ष को बड़ा झटका लगा।

नायडू को बीजेपी को मना रही, रेड्डी खुद पास आ रहे?

इसी तरह बात जब चंद्रबाबू नायडू की आती है तो उनके भी कुछ बयान ऐसे सामने आए हैं, जिससे पता चलता है कि उनकी बीजेपी के साथ तल्खी कुछ कम हुई है, इसके ऊपर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भी फिर पसंद आने लगा है। वैसे नायडू को करीब लाने में तो बीजेपी की कोशिशें रही हैं, बात जब रेड्डी की आती है तो उन्होंने तो कई मुलाकात कर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए फंड्स का इंतजाम किया है। पीएम से लेकर वित्त मंत्री तक, उन्होंने कई बार मुलाकात की है। सीएम के लिए राहत की बात ये है कि हर बार केंद्र ने उनका पूरा सहयोग किया है, जितने फंड की जरूरत पड़ी, उतना दिया गया है।

बीजेपी के लिए क्यों जरूरी आंध्र प्रदेश?

वैसे आंध्र प्रदेश से लोकसभा की 25 सीटें निकलती हैं, ऐसे में दक्षिण में ठीक ठाक प्रदर्शन करने के लिए पार्टी को दोनों नायडू और रेड्डी के साथ की जरूरत पड़ने वाली है। यहां ये समझना भी जरूरी हो जाता है कि पार्टी इस समय उन 120 सीटों पर अपना फोकस जमा रही है, जहां पर उसे पिछली बार हार मिली थी। उनमें से ज्यादातर सीटें दक्षिण के राज्यों से ही निकलती हैं, ऐसे में पार्टी अब गठबंधन पॉलिटिक्स के सहारे अपनी सियासी नैया को पार लगवाना चाहती है।