एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद अंधेरी ईस्ट उपचुनाव उद्धव ठाकरे की साख का सवाल बन गया है। दूसरे शब्दों में कहे तो ठाकरे परिवार के लिए ये एक लिटमस टेस्ट की तरह से है। अगर इस सीट पर जीते तो सूबे की राजनीति में ठाकरे परिवार जोरदोर ढंग से वापसी की कोशिश करेगा। हार से पार्टी को झटका लगेगा।
पिछले दो विधानसभा चुनावों से अंधेरी ईस्ट सीट शिवसेना के पास ही थी। ये सीट मुंबई उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र के तहत आती है। अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट से 2019 में शिवसेना ने जीत हासिल की थी। 2019 चुनाव में यहां 42.67 फीसदी वोट पड़े थे। 2019 में शिवसेना से रमेश लाटके ने निर्दलीय मर्जी पटेल काका को 16965 वोटों के अंतर से हराया था। 2014 के चुनाव में भी शिवसेना का ही इस सीट पर कब्जा था। रमेश लाटके ने उस दौरान बीजेपी के सुनील लालन प्रसाद यादव को शिकस्त दी थी।
मुंबई उत्तर पश्चिम संसदीय क्षेत्र से शिवसेना के ही गजानन कीर्तिकर सांसद हैं। उन्होंने कांग्रेस के संजय निरुपम को 260328 मतों से हराया था। इस बार अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। लेकिन शिवसेना इस सीट को किसी भी सूरत में जीतना चाहती है। यही वजह है कि उद्धव ठाकरे ने दिवंगत रमेश लाटके की पत्नी रुतुजा को उप चुनाव में शिवसेना का प्रत्याशी बनाया है। रमेश लटके की मई माह में दुबई में ह्रदयघात से मृत्यु हो गई थी।
चुनाव आयोग ने इस सीट पर नामांकन दाखिल करने की तिथि 14 अक्टूबर तय की है। वोटिंग 3 नवंबर को होगी। बीजेपी ने इस सीट से मर्जी पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है। खास बात है कि बीएमसी चुनाव से पहले ये चुनाव होगा है। शिवसेना में टूट के बाद ये चुनाव इस वजह से भी अहम है, क्योंकि रमेश लाटके की पत्नी जीतीं तो कॉरपोरेशन चुनाव में शिवसेना मजबूती से उतरेगी।