जम्मू-कश्मीर में पिछले 10 दिनों में आतंक और घुसपैठ की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में सुरक्षा बल परेशान हैं और उन्हें ठंड के दौरान प्रदेश में आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। जम्मू-कश्मीर में पिछले दस दिनों में सीमा पार घुसपैठ की 5 घटनाएं हुई हैं।
आतंकी गुसपैठ की ऐसी दो घटनाएं पीर पंजाल के दक्षिण में रियासी जिले के चसाना क्षेत्र और राजौरी जिले के नरला क्षेत्र में और तीन पर्वत श्रृंखला के उत्तर में उरी और बारामूला के बीच, उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास हथलंगा और अनंतनाग के पास कोकेरनाग के जंगलों में हुईं। अधिकारियों का कहना है कि आतंकी गतिविधियों में यह तेजी सर्दियों की शुरुआत से पहले जम्मू-कश्मीर में माहौल बिगाड़ने की बढ़ती पाकिस्तानी कोशिशों की ओर इशारा करती है। इस दौरान भारी बर्फबारी के कारण जम्मू-कश्मीर के उत्तरी इलाकों में घुसपैठ मुश्किल हो जाती है।
LoC पार से प्रशिक्षित आतंकवादियों को भेजने की कोशिश
अधिकारी ने कहा, LoC के पार से सर्दियों से पहले के महीनों में अधिक संख्या में प्रशिक्षित आतंकवादियों को भेजने का प्रयास किया जा रहा है, ऐसा स्थानीय भर्ती संख्या में गिरावट के कारण भी हो रहा है। गैर-पारंपरिक मार्गों का उपयोग करके हथियारों के बिना घुसपैठ भी बढ़ रही है। नियंत्रण रेखा के करीब हथियार और गोला-बारूद गिराने की घटनाएं हुई हैं, ताकि इन्हें भारतीय सीमा के आतंकवादी सहयोगियों द्वारा उठाया जा सके।
एक अधिकारी ने कहा, “जबकि पीर पंजाल के दक्षिण के इलाकों में एलओसी के पार से हर मौसम में लॉन्चपैड से आतंकवादियों की घुसपैठ संभव रहती है, बर्फ और कठिन पहाड़ी इलाके के कारण लोलाब के उत्तर में चलने वाली शमशाबरी रेंज और पीर पंजाल रेंज में घाटी में प्रवेश करना मुश्किल हो जाता है।”
कश्मीर क्षेत्र में पिछले कुछ समय से आतंकवादियों की संख्या में कमी
अधिकारियों ने घुसपैठ के मार्ग का तुरंत पता लगाने में कठिनाई की ओर इशारा किया। एक अधिकारी ने कहा, “उरी एलओसी पर स्थित है, पीर पंजाल रेंज पर रणनीतिक हाजी पीर दर्रे के करीब है, अनंतनाग पीर पंजाल रेंज और श्रीनगर के बीच स्थित है और पीर पंजाल के दक्षिण के इलाकों से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के लिए सुलभ है।” कश्मीर क्षेत्र में पिछले कुछ समय से आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है, लेकिन सुरक्षा बलों की कार्रवाई जारी है।
इस साल जून तक के आंकड़ों के अनुसार, 2020 से जम्मू-कश्मीर में मारे गए कुल आतंकवादियों में से 549 स्थानीय थे, जबकि 86 विदेशी मूल के थे। इस अवधि के दौरान कम से कम 133 स्थानीय रंगरूटों ने या तो आत्मसमर्पण कर दिया या उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि इसी अवधि में विदेशी आतंकवादियों की संख्या 17 थी।