आनंदीबेन पटेल आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। वह गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्हें ‘आयरन लेडी’ की संज्ञा दी गई है। इसके पीछे कई वजहें हैं। आनंदीबेन के जीवन के बारे में जानने के बाद यह संज्ञा खुद ही पुष्ट हो जाएगी। हम आपको पीछे 1987 में ले चलते हैं। अहमदाबाद के लाल दरवाजा इलाके में स्थित मोहिनाबा कन्या विद्यालय की छात्राएँ पिकनिक मनाने नरेश्वर गई हुई थीं।

यहां नर्मदा नदी बहती है। ग्रुप की दो लड़कियां नदी में गिर गईं। इतने में प्रिंसिपल ने देखा और उन्होंने नदी में छलांग लगा दी और दोनों लड़कियों को खींचकर बाहर ले आईं। उन्हें गुजरात सरकार ने बहादुरी का अवॉर्ड दिया। उसी साल स्कूल की प्रिंसिपल आनंदीबेन पटेल बीजेपी की महिला विंग में शामिल हो गईं। उन्होंने 1970 से स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था।

गणित और विज्ञान की अध्यापिका से वह बीजेपी की महिला मोर्चा की नेता बनीं और फिर गुजरात की मुख्यमंत्री बन गईं। 21 नवंबर 1941 को उत्तरी गुजरात के खरोड़ में उनका जन्म हुआ। उनका परिवार गाँधी के मूल्यों पर विश्वास करने वाला था। उनके पिता जेठाभाई एक समृद्ध किसान थे और अपने खेतों को बीच छोटी सी झोपड़ी में ही रहते थे। वह खुद का बुना हुआ कपड़ा ही पहनते थे। जेठाभाई के विचारों को प्रभाव आनंदीबेन पर भी पड़ा। उन्हें अनुशासित जीवन के लिए जाना जाता है। बीजेपी जॉइन करने के बाद वह अकेली ऐसी महिला नेता थीं जिन्होंने श्रीनगर में लाल चौकक पर 26 जनवरी 1992 को तिरंगा लहराया था।

एकता यात्रा के साथ वह कश्मीर पहुंची थीं। उस समय साथ में मुरली मनोहर जोशी औऱ नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। इसके बाद वह सक्रिय राजनीति में आ गईं। 1994 में वह राज्यसभा पहुंचीं। गुजरात में केशुभाई पटेल की सरकार में वह शिक्षा और महिला, बाल विकास मंत्री भी रहीं। 1998 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव जीता। 2007 में वह फिर से विधायक बनीं। 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो गुजरात की सत्ता उन्हें सौंपकर दिल्ली आ गए। 2018 में वह मध्य प्रदेश की राज्यपाल बनीं। 2019 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल ली। आनंदीबेन की शादी मफतभाई पटेल से हुई और उनके एक बेटा और एक बीटे है। बेटे नाम संजय पटेल और बेटी का नाम अनार पटेल है।