गुरुवार (27 फरवरी) को दिल्ली में वीडी सावरकर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि थे लेकिन प्रोग्राम के ऐन पहले उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। दिल्ली हिंसा के मद्देनजर अमित शाह को नॉर्थ ब्लॉक में एक अर्जेंट मीटिंग में जाना पड़ा। खचाखच भीड़ से भरी ऑडिटोरियम में अमित शाह के लिए आवंटित समय को पूरा करने के लिए आयोजकों ने पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम नाईक से अनुरोध किया। तब राम नाईक सभा को संबोधित करने लगे।
द इंडियन एक्सप्रेस में छपे कॉलम दिल्ली कॉन्फिडेंशियल के मुताबिक राम नाईक ने करीब 10 मिनट ही भाषण दिया होगा, तभी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी वहां पहुंच गए। गडकरी को देखते ही पूर्व गवर्नर ने कहा, “मैं समझता हूं, मेरा काम अब पूरा हो गया।”
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यह कार्यक्रम सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान द्वारा सावरकर के विचारों पर साहित्य के प्रचार के लिए आयोजित किया गया था। नाईक के बाद अखिल भारतीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने वी डी सावरकर के राष्ट्रवाद की प्रशंसा की और चेतावनी दी कि अगर कट्टरपंथी सत्ता हासिल करते रहे तो देश में समाजवाद, लोकतंत्र या धर्मनिरपेक्षता नहीं बच पाएगी। गडकरी ने कहा, “अगर हम आज सावरकर के राष्ट्रवाद का सम्मान नहीं करते हैं, तो हमने एक बार इस देश का विभाजन देखा है… दुनिया में जिस तरह से रूपांतरण हुए हैं और कट्टरपंथियों को सत्ता की बागडोर मिली है… अगर ऐसा होता रहा तो न समाजवाद, न ही लोकतंत्र और न ही धर्मनिरपेक्षता बचेगी।”
संघ के पूर्व प्रमुख का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, “बालासाहेब देवरस ने अपने भाषण में एक बार कहा था कि देश में 51 प्रतिशत मुसलमानों के पास कोई लोकतंत्र नहीं है, कोई समाजवाद नहीं है और न ही कोई धर्मनिरपेक्षता है। इसे साबित करने के लिए पाकिस्तान से लेकर तुर्की तक बहुसंख्यक मुस्लिम राष्ट्रों के कई उदाहरण हैं।” गडकरी ने कहा कि सेकुलर का मतलब धर्मनिरपेक्षता नहीं है। सेकुलर का मतलब है सर्वधर्म समभाव। यह हिंदू संस्कृति का नैसर्गिक स्वरूप है। हमने सभी संस्कृतियों का सम्मान भी किया है। अनेकता में एकता ही हमारी विशेषता और पहचान है।