गृह मंत्री अमित शाह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर लगातार विपक्ष पर हमलावर है। शाह ने 18 जनवरी को कर्नाटक के हुबली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों को हो रही प्रताड़ना का भी जिक्र करते हुए देश में सीएए की जरूरत को बताया उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। 5 दिन पहले दिए इस बयान पर शाह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं।
दरअसल शाह ने जो दावा किया स्थिति इसके उलट है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक चुनाव लड़ सकते हैं। शाह के इस बयान पर बीबीसी ने फैक्ट चेक किया जिसमें सामने आया है कि इन देशों में अल्पसंख्यकों को चुनाव लड़ने का अधिकार तो है ही बल्कि उनके लिए सीटें भी आरक्षित हैं।
बीबीसी के मुताबिक, पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। आरक्षित सीटों के अलावा पाकिस्तान में अल्पसंख्यक किसी भी सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 51 (2ए) अल्पसंख्यकों को यह अधिकार देता है।
वहीं अफगानिस्तान में भी संसद के निचले सदन के लिए एक सीट अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित है। इसके अलावा कोई भी अल्पसंख्यक किसी भी सीट से चुनाव भी लड़ सकता है लेकिन नियमों के मुताबिक उसे अपने समर्थन में पांच हजार लोगों को जुटाना होगा। वहीं अल्पसंख्यक अपने क्षेत्र के उम्मीदवार के लिए मतदान भी कर सकते हैं।
बीबीसी के मुताबिक बांग्लादेश का संविधान भी अल्पसंख्यकों को चुनाव लड़ने का अधिकार देता है। हालांकि संविधान में किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गई है। बांग्लादेश में 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है। मौजूदा समय में संसद में 18 उम्मीदवार अल्पसंख्यक हैं। बहरहाल गृह मंत्री के दावे पर ट्रोल्स ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं।
बीबीसी के पत्रकार मिलिंद खांदेकर ने फैक्ट के साथ ट्वीट कर कहा ‘पाकिस्तान में 10 सीटें आरक्षित हैं बाकी सीटों पर भी चुनाव लड़ सकते है। अफगानिस्तान में एक सीट आरक्षित है वहीं बांग्लादेश में कहीं भी चुनाव लड़ सकते है।’
एक यूजर ने कहा ‘वहां चुनाव ही लड़ ले वो स्वर्ग और भारत में उपराष्ट्रपति भी बन जाए तो डर लगता है क्या गज़ब तर्क है।’ एक यूजर कहते हैं ‘अमित शाह का ज्ञान सिर्फ भक्त ही समझ सकते हैं।’
एक अन्य यूजर ने कहा ‘भय्या, भक्त फैक्ट चेक करने से रहे, इसलिए कुछ भी बक दो, क्या फर्क पड़ता है।’
एक यूजर ने कहा ‘ये संघी हिटलर के नाजी पार्टी से प्रभावित है और उसी की तरह दुष्प्रचार करते है।’
वहीं एक यूजर ने विकीपीडिया के डाटा के साथ शाह के बयान को सिरे से नकार दिया। यूजर ने इस स्क्रीनशॉट को ट्वीटर पर शेयर किया।