पंजाब को फतह करने के लिए बीजेपी अपनी कमर कसकर मैदान में उतरने का मन बना चुकी है। गृह मंत्री अमित शाह ने इशारा किया कि भगवा दल इस बार अकाली दल से कोई गठजोड़ नहीं करने जा रहा है। बल्कि उनका दल कैप्टन अमरिंदर के अलावा अकाली दल से अलग हुए सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में ताल ठोकेगा।
HT सम्मिट में शाह ने बताया कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद पंजाब में उनके दल के प्रति अब सकारात्मक माहौल है। जिस तरह से पीएम मोदी ने बड़ा दिल दिखाकर तीनों कानूनों को वापस लिया है, उससे उन्हें लग रहा है कि पंजाब में बीजेपी के प्रति अब कोई नाराजगी नहीं है। चुनाव में मजबूत फ्रंट बनाने के लिए उनका दल कैप्टन अमरिंदर सिंह साहेब से बात कर रहा है तो सुखदेव सिंह ढींढसा के भी संपर्क में लगातार है। शाह का मानना है कि पंजाब चुनाव मैरिट पर लड़ा जाएगा। उनकी पार्टी गठजोड़ करके बेहतरीन प्रदर्शन करने में कामयाब होगी।
हालांकि, शाह को लगता है कि पंजाब में अब बीजेपी के प्रति कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन किसान नेताओं के तेवर देखकर लगता नहीं कि हालात बहुत ज्यादा अनुकूल हुए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत अपने तेवर हमेशा की तरह से तीखे किए हुए हैं। सोमवार को सरकार ने तीनों कृषि बिलों को वापस लेने का मसौदा संसद से पारित कराया तो उन्होंने कहा कि एक बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लग जाए, उसके बाद 750 किसानों की मौत समेत दूसरे मुद्दों पर पर मंथन होगा। टिकैत ने कहा कि 750 किसानों की मौत के साथ उनके खिलाफ दर्ज मामलों के साथ एमएसपी पर अभी लड़ाई लड़ी जानी बाकी है। एक बार वापसी की प्रक्रिया पूरी हो जाए उसके बाद मोर्चा सभी मुद्दों पर मंथन करके आगे की रणनीति बनाएगा।
उधर, SKM का भी मानना है कि किसानों ने एक साल के दौरान बहुत कुछ झेल लिया है। अपने घरों को छोड़कर वो दिल्ली के बॉर्डर पर पड़े हैं। सर्दी, गर्मी और बरसात की चिंता किए बगैर किसान आंदोलन कर रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा किसान अपने घरों को नहीं लौटने वाले। आगे की रणनीति तय़ करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा आज बैठक भी कर रहा है। मोर्चे का कहना है कि सरकार ने वार्ता के लिए 5 नाम मांगे थे। कौन से नेता वार्ता के लिए जाएं, इसे लेकर आज मंथन हो रहा है।