दिल्ली दंगों पर राज्यसभा में जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दोषी चाहे किसी भी धर्म, जाति या दल के हों, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें कानून के सामने लाया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि फेस आइडेंटिफिकेशन के लिए केवल वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, मीडिया के एक धड़े द्वारा गलत रिपोर्टिंग की गई है।
अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि किसी की जान चली गई, कोई अपाहिज हो गया, किसी का घर जल गया और क्या निजता की बात करते हो? पुलिस को ये अधिकार होना चाहिए कि जिसने दंगा किया है उसको कोर्स के सामने खड़ा करे और कठोर से कठोर सजा दी जाए। हमने निजता का कोई भंग नहीं किया है।
संसद को जानकारी देते हुए अमित शाह ने बताया कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट हिंसा से दो दिन पहले शुरू हुए और 25 तारीख को डिएक्टिवेट हो गए। ये अकाउंट केवल नफरत फैलाने का काम कर रहे थे। इनके मालिक सोच रहे होंगे कि वो सुरक्षित हैं लेकिन यह डिजिटल युग है। हम उन्हें ढूंढेंगे और उन्हें कानून के सामने पेश करेंगे।
शाह बोले मैं मुस्लिम भाईयों और बहनों को दोहराना चाहता हूं कि सीएए को लेकर झूठा प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है। यह कानून किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं बल्कि नागरिकता देने के लिए है।
‘मैं एक बार फिर से दोहरा रहा हूं कि एनपीआर के लिए किसी दस्तावेज की जरुरत नहीं होगी। सभी जानकारी वैकल्पिक होगी। किसी को भी एनपीआर की प्रक्रिया से डरने की जरुरत नहीं है। इसमें कोई भी ‘संदेहास्पद’ कैटेगरी नहीं होगी।’
दिल्ली दंगों की याचिका पर सुनवाई करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले पर शाह ने कहा कि सरकार ने केवल तबादले का आदेश दिया था लेकिन इसकी सिफारिश कॉलेजियम की तरफ से की गई थी। इसलिए इसे किसी विशेष मामले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह एक रुटीन ट्रांसफर था।