Amit Shah on Article 370: गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान के मुद्दे पर अपना संबोधन दिया। उनकी तरफ से कई मुद्दों पर विस्तार से बात की गई, कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा गया और मोदी सरकार की तारीफ भी हुई। उनके संबोधन का सबसे दिलचस्प पहलू वो रहा जहां पर उन्होंने इतिहास के पन्नों को टटोलते हुए दावा कर दिया की बी आर अंबेडकर अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे।

इस बारे में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 पुरजोर विरोध अंबेडकर जी ने किया था, उन्हें देश की पहली कैबिनेट से इसी वजह से इस्तीफा भी देना पड़ा था। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि वे उसे समय की सरकार की विदेश नीति और आर्टिकल 370 से पूरी तरह असहमत थे।

अपनी बात को आगे बढ़ते हो अमित शाह ने बोला कि जब अंबेडकर जी ने अपना इस्तीफा दिया, उसे समय जवाहर लाल नेहरू ने दो टूक बोल दिया था उनके जाने से मंत्रिमंडल पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद अमित शाह ने मुंबई के एक पत्र का भी जिक्र किया जिसमें दावा किया गया कि अंबेडकर जी का स्मारक बनना चाहिए। लेकिन नेहरू ने यह बोलकर स्मारक बनवाने से मना कर दिया था कि यह निजी प्रॉपर्टी है और इसमें सरकार का कोई सहयोग नहीं हो सकता।

अमित शाह ने अपने संबोधन के दौरान ईवीएम का मुद्दा भी उठाया। उनकी तरफ से दो टूक बोला गया कि ईवीएम रोना बंद होना चाहिए। महाराष्ट्र में इनका सूपड़ा साफ हो गया, दुरबीन होकर भी नहीं दिखते, तो वहां पर ईवीएम को दोष दे दिया, झारखंड में जीत गए तो वहां ईवीएम सही थी। इन लोगों को शर्म करनी चाहिए, जनता को गुमराह नहीं करना चाहिए।

विदेशी चश्मे वाला तंज

गृह मंत्री ने आगे कहा कि कोई ये न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के संविधानों की नकल है। हां, हमने हर संविधान का अभ्यास जरूर किया है, क्योंकि हमारे यहां ऋग्वेद में कहा गया है, हर कोने से हमें अच्छाई प्राप्त हो, सुविचार प्राप्त हो, और सुविचार को स्वीकारने के लिए मेरा मन खुला हो। हमने सबसे अच्छा लिया है, लेकिन हमने हमारी परंपराओं को नहीं छोड़ा है। पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है, तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी। अमित शाह की पूरी स्पीच पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें