कारगिल की जंग के दौरान बेहतरीन सूझबूझ और साहस का परिचय देकर मेडल पाने वाला भारतीय वायु सेना का एक अफसर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और दिल्ली पुलिस की जांच के घेरे में है। आरोप है कि उसने तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया और दूसरे शख्स की पहचान का इस्तेमाल किया ताकि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का प्लेन उड़ा सके।
बता दें कि बीएसएफ एयर विंग के पास केंद्रीय मंत्री का विमान उड़ाने का जिम्मा है। विंग ने पाया कि बीएसएफ पायलट विंग कमांडर (रिटायर्ड) जेएस सांगवान ने कथित तौर पर अपने सीनियर की पहचान का इस्तेमाल किया और उनके नाम पर मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (L&T) को ईमेल्स किए। इन मेल्स में सांगवान ने कथित तौर पर खुद की ही सिफारिश की। यहां तक कि वेरिफिकेशन कॉल्स के लिए मेल्स में अपने फोन नंबर का जिक्र किया।
L&T को भेजे गए ईमेल्स में दरख्वास्त की गई थी कि सांगवान को L&T का एयरक्राफ्ट उड़ाने का मौका दिया जाए। इसके लिए उनके नाम की सिफारिश की गई। कहा गया कि वह एक कुशल एंब्रेयर एयरक्राफ्ट पायलट हैं, जिनके पास 4000 घंटों से ज्यादा के फ्लाइंग आवर्स (उड़ान के घंटों) का अनुभव है। कंपनी ने जुलाई में अपनी चेन्नई टु दिल्ली टु मुंबई फ्लाइट के लिए सांगवान को मौका देने का फैसला किया।
हालांकि, इस योजना का खुलासा सांगवान के चेन्नई रवाना होने से एक दिन पहले हुआ। L&T ने बीएसएफ विंग ऑफिस फोन करके कुछ जानकारियां मांगी थीं। इस दौरान पता चला कि बीएसएफ ने ऐसी कोई सिफारिश की ही नहीं है। बीएसएफ ने यहां तक कहा कि सांगवान को को-पायलट का भी दर्जा नहीं दिया गया है।
बीएसएफ की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ कि अफसर कथित तौर पर एंब्रेयर विमान पर अपने फ्लाइंग आवर्स को तेजी से बढ़ाना चाह रहा था ताकि वह जल्द से जल्द गृह मंत्री का विमान उड़ाना शुरू कर सके। बता दें कि किसी भी वीआईपी को लेकर उड़ान भरने के लिए पायलट को न्यूनतम 500 घंटे के उड़ान का अनुभव होना चाहिए। वहीं, गृह मंत्री को लेकर उड़ान भरने के लिए कम से कम 1000 घंटों का अनुभव चाहिए।
इस मामले में दिल्ली के डोमेस्टिक एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है। जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर अनुज शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि बीएसएफ को नोटिस भेजकर जरूरी दस्तावेज मांगे गए हैं। इसके अलावा, उस कम्प्यूटर रूम के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे गए हैं, जहां से कथित तौर पर ईमेल्स भेजे गए। उधर, बीएसएफ के एडीजी एसएस चाहर ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, जिसकी हर एंगल से जांच हो रही है।
1999 में कारगिल की जंग में मिग 21 विमान उड़ाने वाले सांगवान को मेडल मिल चुका है। वह मीडिया मल्टी रोल एयरक्राफ्ट इवैल्युएशन प्रोग्राम का भी हिस्सा रह चुके हैं। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने माना कि उन्होंने ये मेल्स अपने अफसर की ओर से लिखे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पूरा प्रकरण ‘गलतफहमी’ का नतीजा है और उन्होंने यह सब कुछ ‘अच्छी नीयत’ से किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वह यह सब देश की सेवा के लिए कर रहे थे क्योंकि अगर वह चाहते तो कॉमर्शियल फ्लाइट उड़ाकर पांच गुना ज्यादा वेतन हासिल कर सकते थे।