भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी नेताओं से कहा है कि केंद्र के गरीब और किसान समर्थक नीतियों को उजागर करने के लिए जुबानी प्रचार अभियान में आक्रामक तरीके से जुट जाएं और मीडिया की नकारात्मक रिपोर्ट से परेशान नहीं हों क्योंकि सितंबर-अक्तूबर में बिहार में अहम विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि आइपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के साथ भगवा दल के वरिष्ठ नेताओं के संदिग्ध जुड़ाव को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए शाह ने नेताओं से कहा कि आलोचनात्मक खबरों से निराश नहीं हों और नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न गरीब समर्थक उपलब्धियों को उजागर करें। उन्होने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में ये निर्देश दिए। बेंगलूर में इस वर्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद यह पहली बैठक है।

भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि शाह ने केंद्र सरकार के पहले 12 महीने के कार्यकाल में ली गई 24 महत्वपूर्ण पहलों के बारे में बात की और यह भी बताया कि किस तरह वे गरीबों और किसानों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। पार्टी प्रमुख ने जिन सरकारी नीतियों को उजागर किया उनमें जनधन बैंक खाता, गरीबों के लिए बीमा और पेंशन योजना और किसानों के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना शामिल हैं। उन्होंने नेताओं से कहा कि इस बात को उजागर करें कि किस तरह सरकार ने किसानों के मुआवजे के नियमों में ढील दी और डब्ल्यूटीओ में उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी।

सूत्रों ने कहा कि डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया अभियान का भी जिक्र किया गया। उन्होंने हमसे कहा कि लोगों से संपर्क बनाकर ठोस जुबानी प्रचार किया जाए। उन्होंने कहा कि हमें मीडिया की नकारात्मक रिपोर्ट से परेशान नहीं होना चाहिए और इसके बजाए केंद्र के अच्छे कार्यों के साथ ही हमारे शासन वाले राज्यों के अच्छे कार्यों को भी उजागर करना चाहिए।

बैठक में ओबीसी मोर्चे के गठन को भी उजागर किया और कहा कि समुदाय तक पहुंचने के लिए यह महत्वपूर्ण पहल है जो राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पार्टी ने एक बयान में कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग देश की राजनीति को प्रभावित करता है और बड़ी संख्या में उत्तर भारत में है। पार्टी समुदाय को लुभाने के प्रयास में है जो कई जातियों का समूह है और बिहार में इनकी आबादी 40 से 50 फीसदी के बीच है। वे परंपरागत रूप से लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और मुलायम सिंह यादव जैसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन करते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनके एक धड़े को लुभाने में भाजपा सफल रही है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में अगले वर्ष चुनाव होने हैं और उत्तरप्रदेश में 2017 में चुनाव होने वाले हैं।