भारतीय विदेश मंत्रालय ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहली वर्षगांठ पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ चेन्नई में पीएम मोदी की अनौपचारिक मुलाकात को अपनी उपलब्धि बताया है। गौरतलब है कि जहां विदेश मंत्रालय चीन के साथ बातचीत को अपनी उपलब्धि बता रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस वक्त लद्दाख में सीमा पर चीन और भारत की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दूसरी अनौपचारिक बैठक अक्टूबर, 2019 में चेन्नई के मामलपुरम में हुई थी। डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों ने फैसला किया था कि सीमा पर तनाव नहीं होना चाहिए और इसके लिए दोनों देश मिलकर शांति से बात करेंगे।
गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि “दोनों देशों के पास मिलिट्री और डिप्लोमैटिक लेवल पर मैकेनिज्म मौजूद है, जिसकी मदद से सीमा पर तनाव उभरने की स्थिति में बातचीत के जरिए शांतिपूर्वक सुलझाया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि “भारत सीमा पर चीन के साथ शांति बनाए रखने के लिए समर्पित है और हमारे सुरक्षाबल हमारे नेताओं और उनके द्वारा बनायी गई सहमति और निर्देशों का पालन करते हैं। साथ ही हम भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प में दृढ़ हैं।”
बता दें कि शनिवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हो गया। इस दौरान सत्ताधारी भाजपा की तरफ से भी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया गया। विदेश मंत्रालय ने भी इस दौरान सरकार के पहले साल की अपनी उपलब्धियां गिनवायीं। भारत चीन के बीच औपचारिक मुलाकात के अलावा विदेश मंत्रालय ने वंदेभारत मिशन को भी अपनी उपलब्धि बताया।
वंदेभारत मिशन के तहत कोरोना वायरस माहमारी के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों को स्वदेश लाया जा रहा है। इसके लिए मंत्रालय ने एक 24 घंटे का कंट्रोल रूम बनाया हुआ है, जहां से लोग मदद पा सकते हैं। वंदेभारत मिशन के तहत 40 हजार से ज्यादा लोग भारत वापस लाए जा चुके हैं।
कोरोना वायरस माहमारी के बीच दुनिया के 154 देशों को मेडिकल सप्लाई करने में भी भारत ने अहम रोल निभाया है। साथ ही माहमारी के बीच सार्क देशों की बीच परस्पर साझेदारी को बढ़ाने की दिशा में भी अहम काम हुआ है।
इस सरकार में विदेश मंत्रालय की नीति ‘पड़ोसी पहले’ और ‘सबका साथ सबका विश्वास’ की रही है। इस दौरान पीएम मोदी ने भूटान, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा भी की और भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और मॉरिसस के शीर्ष नेताओं की आगवानी भी की।