कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर में भारत में हर दिन लाखों केस मिल रहे हैं, जबकि मौतों क आंकड़ा भी लगातार चार हजार तक पहुंच रहा है। इस बीच बाजार में विटामिन, जिंक और कुछ अन्य सप्लीमेंट की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है। ज्यादातर लोग इन्हें इम्युनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के जरियों के तौर पर देखते हैं, जिससे कोरोनावायरस उन्हें प्रभावित न कर पाए। ऐसे में इनकी मांग बढ़ने के कारण कई शहरों में सप्लीमेंट्स की भी कमी पैदा होने लगी हैं। ऐसे में सप्लीमेंट्स के भरपूर प्रयोग को लेकर मेडिकल एक्सपर्ट्स ने चिंता भी जाहिर की है। ज्यादातर डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को ठीक से यह भी नहीं पता कि किस सप्लीमेंट को कब इस्तेमाल करना है, पर डर की वजह से वे सबकुछ ले रहे हैं।

क्या बोले हेल्थ एक्सपर्ट्स?: स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मल्टीविटामिन्स एंटीऑक्सीडेंट्स के तौर पर काम करते हैं और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करते हैं, पर अब तक इस बात के ठोस सबूत नहीं हैं कि यह कोरोना संक्रमण को भी रोक सकते हैं। इसके अलावा कुछ मिनरल्स और विटामिन्स में रोगाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) गुण होते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कोरोनावायरस को रोक भी सकती है। लेकिन अभी तक इसकी जानकारी नहीं है कि सप्लीमेंट्स किस तरह और किन वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी हैं।

सप्लीमेंट्स के प्रभाव पर राय: क्या कहते हैं  ऐसे में कोरोना के इलाज की गैरमौजूगी में यह सप्लीमेंट्स ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोरोना से बचाव के जरियों के तौर पर उभरे हैं। हालांकि, जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हानिकार भी हो सकता है। इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर जेनिफर प्रभु ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि शरीर में विटामिन डी की मौजूदगी से मरीजों में सांस की समस्या कम पाई गई। इसलिए माना जा रहा है कि विटामिन डी से लोगों में गंभीर कोरोना के लक्षण पैदा नहीं हुए।

इसी तरह जिंक भी सर्दी-जुकाम के RNA वायरसों को बढ़ने से रोकने में कारगर दिख चुका है। खासकर नाक और निचली श्वास नलिकाओं में, जिससे फेफड़ों की चोट से बचाव होता है। जैसा कि हम जानते हैं SARS-CoV-2 भी एक RNA वायरस है, जो श्वास नलिका पर असर डालता है।

स्टडीज में क्या आया सामने?: इस साल की शुरुआत में JAMA ओपन नेटवर्क में छपी एक स्टडी में कहा गया था कि जिंक और विटामिन सी सप्लीमेंट्स लेने वाले लोगों में कोरोना के लक्षणों में कोई खास सुधार नहीं हुआ। न ही उनकी तेज रिकवरी से जुड़े कोई सबूत मिले हैं।

इसके अलावा अमेरिका के क्लीवलैंड क्लीनिक में हुई रिसर्च में 214 कोविड मरीज शामिल हुए थे। यहां विटामिन सी, जिंक ग्लूकोनेट ले रहे ग्रुप में भी कोरोना के लक्षणों में कुछ खास बदलाव नहीं देखा गया। हालांकि, SIRO क्लिनफार्म के उपाध्यक्ष डॉक्टर गणेश दिवेकर के मुताबिक, शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल्स में विटामिन सी और जिंक सप्लीमेंट लेने वाले कोरोना मरीजों के गंभीर लक्षणों की संभावना कम देखी गई है।