Corona Virus Lockdown: कोरोना वायरस और लॉकडाउन की मार ने युवाओं को भी संकट की स्थिति में ला खड़ा किया है। अच्छी खासी डिग्रियां होने के बावजूद वे लोग मनरेगा स्कीम (MGNREGA) के तहत काम करने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि रोजगार का उनके पास यही एक विकल्प है। कोरोना संकट के बीच सिर्फ प्रवासी मजदूर ही काम की तलाश नहीं कर रहे हैं पढ़े लिखे लोग भी है जो काम की तलाश में जुटे हैं। विकल्पों के आभाव के चलते वह मनरेगा स्कीम के तहत काम करने को मजबूर हैं।
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के रहने वाले रोशन कुमार ने एमए किया हुआ है। लॉकडाउन से पहले वह अच्छी नौकरी करते थे लेकिन इस संकट की स्थिति ने उनसे उनका रोजगार छीन लिया। लॉकडाउन के दौरान उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। अब वह बताते हैं कि वह मनरेगा में काम करने इच्छा रखते हैं। उनके पास रोजगार के नाम पर कुछ भी नहीं है।
बीबीए कर चुके सत्येंद्र कुमार की कहानी भी ऐसी ही है। बीबीए के बाद भी उनके पास कोई नौकरी नहीं थी। उन्होंने जैसे तैसे 6-7 हजार की तनख्वाह वाली नौकरी का इंतेजाम किया। लॉकडाउन के दौरान यह नौकरी भी चली गई और गांव लौटने पर प्रधान ने मनरेगा में काम दिलाने में मदद की।
बता दें कि लॉकडाउन से पहले मनरेगा में औसतन एक दिन में बीस लोग काम करते थे लेकिन अब संख्या बढ़कर 100 हो गई है। इनमें से हर पांचवा शख्स डिग्री धारक है या तो लॉकडाउन के चलते अपनी नौकरी गंवा चुका है। राज्य में योगी सरकार ने दूसरे राज्यों से लौटे लोगों के लिए मनरेगा स्कीम के तहत 30 लाख लोगों को रोजगार दिलाने का प्रबंध किया है।