सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पर यौन उत्पीड़न के मामले में आज शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बाद मामले को खत्म करने पर मुहर लगा दी। दरअसल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था जबकि महिला ने इस मामले की सुनवाई को दिल्ली हाईकोर्ट से बाहर किसी दूसरी जगह पर तब्दील करने की गुहार लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है तो मामले को बंद किया जाता है। इस मामले से जुड़ी सारी कार्रवाई को सीलबंद करके रिकार्ड रूम में रखा जाए।
सोशल मीडिया को हिदायत जारी नहीं कर सकतेः जस्टिस बीवी नागरत्ना
पूर्व जज की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने मंग की कि जब दोनों पार्टियों के बीच समझौता हो गया है तो सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को आदेश जारी किया जाए कि इस मामले से जुड़ा सारा रिकार्ड वो हटा दें। बेंच ने अपने हाथ खड़े करते हुए कहा कि क्या वो इस हद तक कोई आदेश जारी कर सकते हैं। मीडिया ने वो ही लिखा जो ओपन कोर्ट में कहा गया था।
डबल बेंच ने कहा कि अगर आपको दिक्कत थी तो इन कैमरा प्रोसीडिंग के लिए अपील करते। बंद कमरे में सुनवाई होती तो चीजें बाहर नहीं जातीं। लेकिन अब अदालत कोई भी ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकती है जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म को कहा जाए कि मसले से जुड़ा सारा रिकार्ड वो डिलीट करें। जस्टिस बीवी नागरत्ना का कहना था कि ऐसा करना जायज नहीं है।
इंटर्न ने लगाया था यौन उत्पीड़न का आरोप
इस मामले में जज पर उनकी इंटर्न ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जज ने इसके खिलाफ मानहानि का केस दायर किया तो महिला ने याचिका दायर की कि इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट ले किसी और जगह पर तब्दील किया जाए। उनका कहना था कि दिल्ली हाईकोर्ट के सारे जज आरोपी जज के संगी साथी रहे हैं। उसे आशंका है कि मामले में सही तरीके से सुनवाई नहीं हो सकेगी। बाद में दोनों ही पक्षों ने कोर्ट के बाहर समझौता कर लिया।