Allahabad High Court Lawyers Strike: मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को केंद्र से जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कड़ा विरोध किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट या किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कोई भी कोर्ट डस्टबिन नहीं है। कार्यवाही पूरी होने तक उन्हें सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी में दिल्ली में रहना चाहिए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल तिवारी ने आगे कहा कि हमने 11 प्रस्ताव पारित किए हैं। सबसे पहले, हम किसी भी हालत में जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर यहां पर बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह आज नहीं हुआ और न ही भविष्य में ऐसा होना चाहिए। उन्होंने सीजेआई से जांच एजेंसियों को कार्रवाई करने की इजाजत देने का भी आग्रह किया है। उन्होंने कहा, ‘हम भारत के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वे सीबीआई और ईडी को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और मुकदमा चलाने की अनुमति दें, जैसा कि किसी भी राजनीतिक नेता या नौकरशाह के खिलाफ किया जाता है, क्योंकि यह घटना किसी ज्यूडिशियल वर्क का हिस्सा नहीं है।’

अधजले नोट के बंडल ने बढ़ाई जस्टिस वर्मा की मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वापस भेजने की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस उनके मूल इलाहाबाद हाई कोर्ट में भेजने का फैसला किया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया , ‘सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है।’

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने नकदी मिलने पर रिपोर्ट मिलने और एक वीडियो सामने आने के बाद 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक बुलाई थी। वीडियो की समीक्षा के बाद कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से उनके ट्रांसफर करने की सिफारिश करने का फैसला किया। विवाद गहराने पर सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च के प्रेस नोट में कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में दूसरे सबसे वरिष्ठ जज और कॉलेजियम के सदस्य हैं। उनको इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव पूरी तरह से स्वतंत्र है और जांच की प्रक्रिया से पूरी तरह अलग है। इलाहाबाद HC बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने जांच पर उठाए सवाल