सुनने में अजीब लगता है लेकिन है सोलह आने सच। नवी मुंबई की तलोजा जेल के कैदी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करके बताया कि उन्हें एक बाल्टी पानी में दिन के सारे काम करने को कहा जाता है। इसमें से ही उनको पानी पीने के लिए भी कहा जाता है। हाईकोर्ट ने शिकायत को विधिक सेवा प्राधिकरण से क्रासचेक कराया तो ये बात सही साबित हुई। उसके बाद जेल प्रशासन को फटकार लगा हाईकोर्ट ने कड़े दिशा निर्देश जारी किए।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने कहा कि तलोजा जेल के कैदियों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वो नहाने और कपड़े धोने के लिए दिए जा रहे पानी का इस्तेमाल पीने के लिए भी करेंगे। अदालत ने कहा कि प्राथमिकता स्वच्छ पेयजल है। यह उनका मूल अधिकार है। इसे धोने आदि में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी से अलग होना चाहिए। आप पीने के पानी को अन्य पानी के साथ नहीं जोड़ सकते।
बेंच ने टिप्पणी की कि आप उनसे एक बाल्टी पानी में सब कुछ करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय करते हुए जेल अधिकारियों से यह बताने को कहा कि वो पानी की आपूर्ति बढ़ाने और इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि पीने का पानी कैसे अन्य कार्यों में इस्तेमाल होने वाले पानी के जैसा हो सकता है। बेंच ने जेल अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वो कैदियों को उपलब्ध कराए जाने वाले पीने के पानी की मात्रा को बढ़ाने के लिए काम करें।
कैदी अभय कुरुंदकर ने दायर की थी हाईकोर्ट में याचिका
अदालत एक कैदी अभय कुरुंदकर की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें रायगढ़ जिले के अधिकार क्षेत्र में आने वाली जेल में पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। बेंच ने इस सप्ताह की शुरुआत में रायगढ़ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सचिव को याचिकाकर्ता द्वारा किए गए दावों को सत्यापित करने का निर्देश दिया था।
विधिक सेवा प्राधिकण ने जांच कर शिकायत को बताया सही
अदालत ने सचिव की रिपोर्ट पर गौर किया। इसमें कहा गया है कि जेल में सिंटेक्स टैंकों में पानी जमा किया जाता है और फिर कैदियों को दी जाने वाली बाल्टियों में रखा जाता है रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी में गंदगी है। अदालत ने रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि जेल में पानी की आपूर्ति अपर्याप्त थी और उसे आश्चर्य हुआ कि अधिकारी कैसे प्रत्येक कैदी से यह अपेक्षा करते हैं कि वे उन्हें प्रदान की गई एक बाल्टी पानी में ही सब कुछ कर लें।