ढाई साल बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विप्र साधने की कोशिश में लग गए हैं। प्रदेश के 12 फीसद ब्राह्मणों को साधने की अखिलेश ने इस लिए रणनीति बनाई है क्योंकि उन्हें इस बात का इल्म हो चुका है कि बगैर ब्राह्मणों को साथ लिए वे उत्तर प्रदेश में वैसा कुछ हासिल नहीं कर सकते जिसका वे लंबे समय से ख्वाब पाले बैठे हैं।

दरअसल, अखिलेश यादव को पुराने समाजवादियों ने यह बता दिया है कि वर्ष 2012 में उनकी जो सरकार बनी थी, उसमें ब्राह्मणों का खासा योगदान था। उस वक्त प्रदेश का ब्राह्मण बहुजन समाज पार्टी के सोशल इंजीनियरिंग के सूत्र से उकता चुका था। इसीलिए उसने नए विकल्प के तौर पर समाजवादी पार्टी की तरफ रुख किया। इसका नतीजा हुआ कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में 222 सीटें जीत का पहली बार समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।

उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बीते सात सालों से खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। यह बात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ऐसा कोई ब्राह्मण नेता नहीं है जिसे ब्राह्मण संवेत स्वर में अपना समर्थन देने को राजी हों। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक बहुजन समाज पार्टी से आयातित नेता हैं, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा को भी प्रदेश के ब्राह्मणों का सम्वेत स्वर में समर्थन हासिल नहीं है। रही वर्तमान में भाजपा में प्रदेश स्तर पर ब्राह्मण नेताओं की बात तो नई पीढ़ी को भाजपा आलाकमान ने अब तक कोई ऐसी अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपी है, जिसके दम पर वो प्रदेश भर में ब्राह्मणों का समर्थन हासिल कर सकें।

बीजेपी में ये हैं ब्राह्मण नेता

इस वक्त उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पास ब्राह्मण नेताओं के नाम पर विजय बहादुर पाठक, अभिजात्य मिश्रा, मनीष शुक्ल, शलभ मणि त्रिपाठी, मनीष दीक्षित सरीखे नेता ही हैं। इनमें से अधिकांश का काम खबरिया चैनलों पर आयोजित परिचर्चा में पार्टी का पक्ष रखने तक ही सीमित है, जबकि जब तक भाजपा विपक्ष में थी, तब तक ऐसे नेताओं ने विभिन्न मोर्चों पर डंट कर मुकाबला किया था।

ब्राह्मणों के पास नहीं हैं कोई विकल्प

इस बाबत उत्तर प्रदेश में एक वरिष्ठ भजपा नेता कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी को वोट देने के अलावा ब्राह्मणों के पास फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। भाजपा आलाकमान उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों की इस मजबूरी को बखूबी जानता है। उसे इस बात का इल्म भी है कि प्रदेश की कोई भी विधानसभा ऐसी नहीं है जहां ब्राह्मण मतदाता की संख्या कम से कम पांच हजार ना हो।

उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही अपनी उपेक्षा से हताश ब्राह्मणों के जख्म सहला कर अखिलेश यादव उन्हें अपने पक्ष में करने की जुगत में जुटे हुए हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को निर्दश दिया है कि वे प्रदेश भर में ब्राह्मणों के बीच सघन जनसम्पर्क अभियान जारी रखें ताकि विधानसभा चुनाव में वो ब्राह्मण मतों का लाभ उठा सकें। इस बाबत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य राजेन्द्र चौधरी कहते हैं, समाजवादी पार्टी का इतिहास ब्राह्मण नेताओं से भरा पड़ा है। भाजपा के साथ रह कर प्रदेश के ब्राह्मण उसका चाल, चरित्र और चेहरा देख चुके हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ हो कर प्रदेश के ब्राह्मण पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रहे हैं। भाजपा में ना ही ब्राह्मणें का सम्मान सुरक्षित है और ना ठाकुरों का, जिसकी बड़ी कीमत भाजपा को चुकानी पड़ेगी।