पंजाब में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के झटकों से शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) बाहर नहीं आ पा रहा है। पार्टी के भीतर दो गुट बन गए हैं। जहां दोनों तरफ के नेता एक-दूसरे पर हमला करने के लिए भाजपा और आरएसएस का हवाला दे रहे हैं। एक तरफ सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल है तो दूसरी तरफ बगावत कर अलग हुए नेताओं का ग्रुप है, जिसे ‘सुधार लहर’ कहा गया है। अब दोनों तरफ के नेता एक दूसरे पर प्रहार करने के लिए आरएसएस का उदाहरण दे रहे हैं।

शिरोमणि अकाली दल की लड़ाई में आरएसएस का जिक्र क्यों?

शिरोमणि अकाली दल की अनुशासन समिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा, “एसएडी के संरक्षक सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। हमने सभी असंतुष्ट नेताओं को उनकी समस्याओं पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वे पार्टी को कमजोर करने और विभाजित करने के लिए नागपुर में रची गई साजिश का हिस्सा बन गए।”

शिरोमणि अकाली दल ने हाल ही में वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। बलविंदर सिंह भुंडर ने नागपुर का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि वहां आरएसएस का कार्यालय है। भुंडर ने कहा कि पार्टी को सिर्फ इसलिए उन्हें बाहर करने पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह आरएसएस द्वारा रची गई साजिश का शिकार हो गए हैं।

पार्टी के 8 नेताओं को दिखाया बाहर का रास्ता

शिरोमणि अकाली दल ने 30 जून को सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे परमिंदर और शिरोमणि प्रबंधक गुरुद्वारा कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व प्रमुख बीबी जागीर कौर समेत आठ बागी नेताओं को पार्टी से निकाल दिया था। यह सभी सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। जब सुखदेव सिंह ढींडसा ने उनका समर्थन किया तो उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल की ओर से कहा गया कि यह सब आरएसएस के इशारे पर हो रहा है।

बागी नेताओं पर क्या आरोप?

शिरोमणि अकाली दल की अनुशासन समिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंडर ने आरोप लगाया और कहा, “अकाली दल के बागी भाजपा और आरएसएस के हाथों में खेल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि यही बागी नेता लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ छिपकर बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा इनके बीजेपी से काफी मजबूत संबंध रहे हैं। एक और बागी सिकंदर सिंह मलूका के बेटे और बहू भाजपा में हैं। हम अपनी पार्टी को कमजोर करने में भाजपा कनेक्शन को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं?”

बागी नेताओं का क्या कहना है?

सुधार लहर नाम के बागी गुट ने आरोपों को खारिज कर दिया और अकाली दल से आरएसएस और भाजपा का हवाला देकर मुद्दे को भटकाने के बजाय आत्म चिंतन करने के लिए कह दिया। निष्कासित अकाली दल नेताओं में से एक चरणजीत सिंह बराड़ ने कहा कि अगर रखड़ा जी ने भाजपा नेतृत्व के साथ बैठक की थी, तो सुखबीर सिंह बादल ने भी लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ बैठकें की थीं। इसमें बड़ी बात क्या है?