महाराष्ट्र की सियासत में सबसे बड़ा खेला हो गया है। अजित पवार ने एनसीपी के साथ वो कर दिया है, जिसकी उम्मीद शरद पवार ने शायद ही की होगी। इस समय अजित पवार शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम की शपथ ले चुके हैं। उनके साथ एनसीपी के दूसरे कई कद्दावर नेता भी सरकार का हिस्सा बन गए हैं। ये ऐसा नाटकीय मोड़ है जिसका असर सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव में ही नहीं, बल्कि एनसीपी के आने वाले सालों की राजनीति पर भी पड़ने वाला है।
वैसे अगर ये कहा जाए कि अजित पवार ने कोई अचानक से इतना बड़ा कदम उठा लिया हो, तो ऐसा नहीं लगता। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि काफी समय से अजित ये खेल करने की तैयारी कर रहे थे। कोई एक दिन में उन्होंने इतने एनसीपी नेताओं को अपने पाले में नहीं लाया है। ऐसे में अजित की तरफ से तो ये एक सोची समझी रणनीति रही, लेकिन सवाल ये कि क्या शरद पवार ने इस बार कोई बड़ी चूक कर दी? क्या शरद पवार अपनी ही पार्टी में चल रही गतिविधियों को नहीं समझ पाए?
अब शरद पवार जैसे दिग्गज नेता की राजनीति पर सवाल उठाना तो गलत रहेगा, लेकिन ये माना जा सकता है कि उन्होंने कुछ ऐसे हिंट जरूर मिस कर दिए जिससे ये समझा जा सकता था कि अजित पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता। अजित पवार की बीजेपी को लेकर नजदीकियां, पीएम मोदी की उनकी तरफ से तारीफ होना, एक बार एनसीपी को धोखा देकर डिप्टी सीएम बनना, ये सभी वो संकेत थे जो बता रहे थे कि शरद को अब भतीजे अजित पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।
शरद के लिए हिंट नंबर 1
शरद पवार को सबसे पहले हिंट तो साल 2019 में उस समय मिल गई थी जब अजित पवार ने 72 घंटे के लिए डिप्टी सीएम बनकर दिखाया था। असल में महाराष्ट्र के उस विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। पहले तो कहा गया कि शिवसेना के साथ मिलकर बीजेपी सरकार बना लेगी, लेकिन सीएम पद को लेकर ऐसा विवाद हुआ कि उद्धव ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया। वहीं दूसरी तरफ उस स्थिति से असहज होकर अजित ने सबसे बड़ा खेल करते हुए बीजेपी से हाथ मिला लिया। उनकी तरफ से डिप्टी सीएम की शपथ ली गई और सीएम बन गए देवेंद्र फडणवीस।
लेकिन ये सरकार 72 घंटे में ही गिर गई क्योंकि अजित पवार ने दावे तो बड़े किए, लेकिन वे एनीसपी से पर्याप्त समर्थन नहीं जुटा पाए। अब शरद पवार के लिए ये सबसे पहली हिंट थी कि अजित अब भरोसे के लायक नहीं। लेकिन हुआ इसके एकदम उलट। शरद पवार ने अजित को वापस स्वीकार भी किया और फिर बाद में उन्हें डिप्टी सीएम का पद भी दिलवा दिया।
शरद के लिए हिंट नंबर 2
इस साल की शुरुआत में ऐसी अटकलों ने काफी जोर पकड़ा कि अजित पवार, बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, या फिर उनकी तरफ से एनसीपी में दो फाड़ किया जा सकता है। राजनीतिक गलियारों में ये खबर तेजी से फैल चुकी थी, लेकिन शरद पवार ने कहा कि ये सब मीडिया वाले अफवाह फैला रहे हैं। एक बयान में शरद पवार ने कहा था कि अजित तो काफी मेहनती हैं, उनको लेकर कई गलत धारणाएं बना लसी गई हैं। मेरे भतीजे को लेकर भ्रम का माहौल बनाया जा रहा है। यानी कि अजित तो खेल करने के लिए रेडी थे, लेकिन शरद का चाचा वाला प्यार उसे शायद समझ नहीं पाया।
शरद के लिए हिंट नंबर 3
शरद पवार जैसे बड़े नेता अपने पद से इस्तीफा दें, सभी कार्यकर्ता दुखी हो जाएं, लेकिन अजित उन्हें बस समझाने का काम करें, कह दें कि नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए। ये रवैया ही बताने के लिए काफी था कि अजित अब शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष के रूप में नहीं देख रह थे। वे तो लंबे समय से चाहते थे कि एनसीपी अध्यक्ष उन्हें बनाया जाए। लेकिन अजित के वो बयानों के तीर भी शरद पवार को संकते नहीं दे पाए।
शरद के लिए हिंट नंबर 4
अजित पवार एनसीपी में रहकर कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ कर गए, गृह मंत्री अमित शाह के लिए भी उन्होंने कई मौकों पर ऐसे ही बयान दिए। अब कोई एक पार्टी में रहकर दूसरी पार्टी के सबसे बड़े नेता की तारीफ करे, तो आंख-कान खुले रखना लाजिमी रहता है। पिछले महीने मीडिया से बात करते हुए अजित पवार ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी एक करिश्माई नेता हैं। उन्होंने मोदी की तुलना इंदिरा और नेहरू से भी कर दी थी।
यानी कि अगर कांठ की हांडी सिर्फ एक बार चढ़ती तो शरद पवार अपने साथ इतना बड़ा खेल नहीं होने देते। लेकिन क्योंकि यहां पर अजित ने बार-बार बगावत की, लेकिन चाचा माफ करते चले गए, ऐसे में अब इसका नतीजा एनसीपी में दो फाड़ के रूप में देखने को मिल रहा है।
