महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखा गया है। भतीजे अजित पवार ने चाचा शरद पवार का साथ छोड़ शिंदे सरकार का दामन थाम लिया है। लेकिन इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बीच एक चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को चिंता सता रही है, ऐसा क्यों है और इसके पीछे क्या संकेत हैं, आइए समझते हैं। 

अजित पवार और एनसीपी के बड़े नेताओं के इस कदम के बाद जहां भाजपा मजबूत दिखाई दे रही है वहीं शिंदे गुट में एक तरह की गहमा-गहमी देखी गई है। इस सियासी घटनाक्रम के बाद जहां शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा था कि जल्द ही एकनाथ शिंदे के हाथ से मुख्यमंत्री पद चला जाएगा वहीं एकनाथ शिंदे की सक्रियता भी इस ओर इशारा करती दिखाई दे रही है। 

मंत्रियों, नेताओं से मुलाकात, कुछ ने जताई नाराजगी 

शिंदे गुट के सभी मंत्रियों ने सोमवार सुबह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से ठाणे में मौजूद उनके निजी आवास पर उनसे मुलाकात की है। इस दौरान कैबिनेट मंत्री उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल, शंभूराज देसाई के साथ शिंदे गुट के नेता दादा भुसे, संदीपन भुमरे मौजूद थे।

सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अजित पवार और उनके वफादारों को सरकार में शामिल करने के फैसले पर नाराजगी जताई है। एकनाथ शिंदे इस सियासी घटनाक्रम के बाद खासे सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वह अपने कार्यकर्ताओं से भी मिलते दिखाई दिए। 

क्या हैं बड़े संकेत

माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे की चिंता उनके और भाजपा के बीच अंदरखाने जारी खींचतान को लेकर है। पिछले कुछ दिनों में ऐसी भी चर्चाएं सुनाई दी थीं कि मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर दोनों सहयोगी दलों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। 

अजित पवार की एंट्री के बाद यह खेल और भी पेचीदा होता दिखाई दे रहा है। अजित पवार को डिप्टी सीएम बना दिया गया है और अभी तक खाली पड़े मंत्रिमंडल के पदों पर किसी तरह की चर्चा नहीं दिखाई दे रही है। इस बीच चर्चा यह भी है की शिवसेना और भाजपा के जिन नेताओं को मंत्री पद देने की उम्मीद में रखा गया था, वह अब बगावत के तौर पर सामने आ सकते हैं। इसलिए शिंदे सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।