अवधेश राय हत्याकांड में कुख्यात मुख्यात अंसारी को सजा मिली तो उत्तर प्रदेश की उस गैंगवार की यादें ताजा हो गई जो बनारस और गाजीपुर के क्षेत्र में लड़ी गई थी। राय का परिवार एक दूसरे ताकतवर गैंगस्टर बृजेश सिंह के खासा करीब माना जाता था। जबकि बृजेश को मुख्तार अपना सबसे बड़ी दुश्मन मानता था। दोनों के बीच कई बार गोलियां चलीं। कभी मुख्तार भारी पड़ा तो कभी बृजेश सिंह। 1980 और 1990 के दशक में यूपी के अंडरवर्ल्ड में अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी की थी तो वो बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच की अदावत ही थी।
पांच जून को जब बनारस की कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को अवधेश राय की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई तो उनके छोटे भाई और फिलहाल कांग्रेस के नेता अजय राय के चेहरे पर एक अनूठी खुशी थी। उनका कहना था कि 32 साल के इंतजार के बाद आखिर न्याय तो मिला। अवधेश की उम्र 1991 में महज 30 साल की थी जब उनकी हत्या की गई। अजय राय तब 22 के थे। वो मौके पर मौजूद थे।
1991 में अवधेश को उनके घर के बाहर मारी गई गोलियां
3 अगस्त 1991 को जब ये वारदात हुई तब अवधेश मालदिया रोड स्थित अपने घर के बाहर खड़े थे। एक कार में सवार कुछ लोग आए और अंधाधुंध फायरिंग कर दी। अजय खुद अपने बड़े भाई को अस्पताल लेकर गए। तब वो मर चुके थे। अजय ने ही इस मामले की शिकायत चेतगंज पुलिस थाने में दी। उनका कहना था कि हमालवरों में खुद मुख्तार अंसारी भी शामिल था। अजय की शिकायत पर मुख्यार समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। सरकारी वकील रहे आलोक चंद्रा का कहना है कि अजय राय लोकल स्ट्रांगमैन थे। वो राजनीति के साथ धंधे में भी सक्रिय थे। उनका गैंगस्टर और मुख्तार के जानी दुश्मन बृजेश सिंह के साथ खासा उठना बैठना था। खुद अजय के ऊपर भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
पांच बार विधायक रह चुके हैं अजय राय, मोदी के खिलाफ भी लड़े चुनाव
खास बात है कि अपने भाई को इंसाफ दिलाने के लिए 32 साल तक चली लड़ाई के दौरान अजय राय ने कई पार्टियां बदलीं। वो पांच बार विधायक बने। तीन बार बीजेपी के टिकट पर जीते। 2009 के चुनाव में उनकी नजर वाराणसी लोकसभा सीट पर थी। लेकिन बीजेपी ने कद्दावर मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारा तो अजय सपा के हो गए। वो चुनाव लड़े पर जीत नहीं सके। उस चुनाव में खुद मुख्यार अंसारी भी बीएसपी के टिकट पर बनारस की लोकसभा सीट से उम्मीदवार था। अजय मुरली मनोहर जोशी और मुख्यात के बाद तीसरे नंबर पर आए थे। फिर वो कांग्रेस में आ गए।
कांग्रेस ने पीएम मोदी के खिलाफ उनको 2014 के चुनाव में उतारा। उस चुनाव में अरविंद केजरीवाल भी ताल ठोक रहे थे। अजय तीसरे नंबर पर आए। 2019 के चुनाव में भी वो कांग्रेस के टिकट पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे। खुद प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनके लिए रोड शो किया था। लेकिन अजय फिर भी नहीं जीत सके। अजय की खासियत ये है कि वो भूमिहार हैं। ब्राह्मण वोटों को भरमाने के लिए कांग्रेस उनको आगे करती है। वो बनारस के दबंग भी माने जाते हैं लिहाजा उनका एक कद है।
