AIMIM MP Asaduddin Owaisi: अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर विवाद गहराता जा रहा है। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां मौजूद है। उन्होंने बताया कि नेहरू से लेकर अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों ने इस दरगाह पर चादर भेजी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चादर भेजते रहे हैं। ओवैसी ने सवाल उठाया कि बीजेपी और आरएसएस मस्जिदों और दरगाहों को लेकर इतनी नफरत क्यों फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि निचली अदालतें पूजा स्थल अधिनियम पर सुनवाई नहीं कर रही हैं, जिससे कानून और लोकतंत्र के शासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सब बीजेपी और आरएसएस के निर्देश पर हो रहा है, जिससे देश में कानून का शासन कमजोर हो रहा है और यह देश के हित में नहीं है।

दरगाह विवाद का पूरा मामला क्या है?

हाल ही में राजस्थान की एक अदालत ने अजमेर शरीफ दरगाह पर शिव मंदिर होने का कथित तौर पर आरोप लगाने वाली एक याचिका को स्वीकार कर उस पर सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया था। यह घटनाक्रम उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के हाल ही में अदालत के आदेश पर सर्वेक्षण कराए जाने के बाद हुआ है। इस सर्वेक्षण के कारण विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और कथित तौर पर पुलिस की गोलीबारी में एक नाबालिग सहित पांच मुसलमानों की मौत हो गई थी।

यह याचिका हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दायर की थी। इसके बाद अजमेर की एक निचली अदालत ने सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को समर्पित दरगाह के परिसर में शिव मंदिर होने के दावों के संबंध में तीन संस्थाओं को नोटिस जारी किए हैं।

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दूसरी ओर, अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने भी इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया है। चिश्ती ने इस बात पर हैरानी जताई कि उन्हें मामले में पक्षकार भी नहीं बनाया गया है, जबकि वह खुद ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज हैं। उन्होंने कहा कि जिन पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें दरगाह समिति, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय शामिल हैं। चिश्ती ने बताया कि वह अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं और इस मामले पर उचित कदम उठाएंगे।

यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं को भड़का रहा है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी बहस छेड़ रहा है। दरगाह के ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक सहिष्णुता की परंपरा के बीच इस विवाद ने कई सवाल खड़े किए हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी पक्ष कानूनी और संवैधानिक तरीके से समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान पर मंदिर होने के दावे और हिंसा के बाद माहौल काफी गर्म है। अब राजस्थान की प्राचीन अजमेर शरीफ दरगाह की जगह शिव मंदिर बताने के मामले में एक स्थानीय अदालत के नोटिस के बाद माहौल और गर्म होता दिख रहा है। इस मामले में अजमेर की एक स्थानीय अदालत की ओर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया गया है। पढ़ें पूरी खबर