लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष करने के सरकार के फैसले पर मंगलवार को लोकसभा में कई दलों के नेताओं ने आवाज उठाई। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि “जब 18 की उम्र में लड़कियां प्रधानमंत्री चुन सकती हैं, सेक्सुअल रिलेशनशिप भी रख सकती हैं, तो शादी क्यों नहीं कर सकती हैं?” कहा यह स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। इस विधेयक पर विभिन्न पक्षकारों के साथ चर्चा होनी और इसे स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए।
विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच मंगलवार को लोकसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक 2021 पेश किया। इसमें लड़कियों के विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु को 18 साल से बढ़ाकर लड़कों के बराबर 21 साल करने का प्रस्ताव है। इसे पेश किये जाने का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक, एआईएमआईएम, शिवसेना, आरएसपी, बीजद जैसे दलों ने विरोध किया। विपक्षी दलों ने विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिये संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की।
स्मृति ईरानी ने इस विधेयक को लड़कियों एवं महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि जो लोग सदन में उनकी सीट के आगे शोर-शराबा कर रहे हैं, एक तरह से महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के सदस्य अगर थोड़ा इंतजार करते और उनकी बात सुनते तो उन्हें पता चल जाता कि वह स्वयं ही सरकार की ओर से इस विधेयक को स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव कर रही हैं ताकि इस पर विस्तृत चर्चा हो सके। ईरानी ने साथ ही कहा कि सभी धर्म, जाति एवं समुदाय में महिलाओं को विवाह की दृष्टि से समानता का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़कियों और लड़कों के विवाह की आयु एक समान 21 वर्ष होनी चाहिए।
विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार इस विधेयक को पूरक कार्यसूची में लेकर आई है और इस प्रकार से जल्दबाजी में कई विधेयकों को लाया जा रहा है। कांग्रेस के ही गौरव गोगोई ने कहा कि हम इसे पेश किये जाने का विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाए।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि जिस तरह से इस विधेयक को पेश किया गया है, उसका हम विरोध करते हैं। आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है और इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। यह पर्सनल लॉ को भी प्रभावित करने वाला है।