एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि एसआईआर कुछ और नहीं बल्कि पिछले दरवाजे से की जा रही एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस) है। लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए ओवैसी ने बुधवार को कहा कि वोटर लिस्ट का एसआईआर संसद द्वारा बनाये गए विधान का उल्लंघन करता है।

ओवैसी ने कहा कि चुनाव आयोग देश के सुप्रीम कोर्ट और संसद से बड़ा नहीं है।

ओवैसी ने एसआईआर का विरोध करते हुए दावा किया कि यह धर्म के नाम पर लोगों को वोट डालने के अधिकार से वंचित करने की कवायद है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एसआईआर का विरोध करता हूं क्योंकि यह पिछले दरवाजे से एनआरसी तैयार करने जैसा है।’’

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मुस्लिम सांसदों की कम संख्या का मुद्दा

ओवैसी ने लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की कम संख्या पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने बार-बार कहा था कि राजनीतिक सत्ता सामाजिक प्रगति की कुंजी है। एआईएमआईएम सांसद ने कहा, ‘‘यहां केवल चार प्रतिशत मुसलमान हैं। सत्तारूढ़ पार्टी में कोई मुस्लिम सदस्य नहीं है।’’

‘मैं बंगाल का ओवैसी हूं’

ओवैसी ने बिना नाम लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मुसलमान यहां नहीं हैं, धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में उनका प्रतिनिधित्व नहीं है। उदाहरण के लिए, अगर वायनाड जैसी मुस्लिम बहुल सीट से गैर-मुस्लिम चुने जा सकते हैं, तो रायबरेली, अमेठी और इटावा से मुस्लिम चुने जा सकते हैं।’’

कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी क्रमशः वायनाड और रायबरेली से लोकसभा सदस्य हैं जबकि इटावा सपा का गढ़ रहा है।

नागरिकता साबित करने का डाला भार

ओवैसी ने दावा किया कि चुनाव आयोग मतदाताओं पर अपनी नागरिकता साबित करने का भार डाल रहा है और ‘‘यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1960 में इस सदन द्वारा पारित किये गए निर्वाचक नियमों तथा लाल बाबू हुसैन मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुनाए गए फैसले का उल्लंघन है।

एआईएमआईएम के प्रमुख ने कहा कि चुनाव आयोग देश के सुप्रीम कोर्ट और संसद से बड़ा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘फॉर्म 6’ नियम संसद ने पारित किया है लेकिन चुनाव आयोग इस सदन द्वारा पारित किये गए कानून की शुचिता को तार-तार कर रहा है।

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