नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) सोमवार (9 दिसंबर) रात लोकसभा में पास हो गया। इसके पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि विरोध में 80 वोट डाले गए। इस दौरान हैदराबाद से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी लोकसभा में ही भड़क गए और उन्होंने नागरिकता संशोधन बिल की एक कॉपी फाड़ दी। उन्होंने केंद्र सरकार पर मुस्लिमों से नफरत करने का आरोप लगाया। साथ ही, कहा कि मोदी सरकार समुदाय विशेष के खिलाफ भेदभाव कर रही है व उन्हें बेघर करने की कोशिश में है।

ओवैसी ने कही यह बात: ओवैसी ने कहा, ‘‘सरकार पड़ोसी देशों को बिल में शामिल नहीं करके चीन को डराने की कोशिश कर रही है। इस बिल से संविधान का उल्लंघन हो रहा है। खासतौर पर आर्टिकल 14 का, जो समानता के अधिकार की गारंटी देता है।’’ वहीं, असम के धुबरी से एआईयूडीएफ के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने प्रस्तावित कानून को ‘बांटो और राज करो’ विधेयक कहा, जो 1985 के असम समझौते के विरुद्ध है।

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मुस्लिमों के लिए घातक बताया CAB: अपने भाषण में ओवैसी ने कहा, ‘‘जब संविधान लिखा जा रहा था, तब भगवान के नाम पर दस्तावेज लिखने की शुरुआत को खारिज कर दिया गया था। अब यहां धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बिल लाया गया है। नागरिकता संशोधन बिल (CAB) को एनआरसी के चश्मे से देखने की जरूरत है। असम में 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हैं। इनमें 5.40 लाख बंगाली हिंदू हैं। नागरिकता संशोधन बिल आने के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही खत्म हो जाएगी और यह मुस्लिमों के खिलाफ जारी रहेगी। यह आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। सरकार मुस्लिमों को बेघर करने की साजिश कर रही है। यह नफरत और भेदभाव क्यों?’’

पटेल के नाम पर बांटने का लगाया आरोप: बिल का विरोध करते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सदस्य पीके कुन्हालीकुट्टी ने कहा, ‘‘आज आप धर्म के नाम पर देश को बांट रहे हैं। कल भाषा के नाम पर बांटेंगे और यह सब पटेल के नाम पर हो रहा है। यह सांप्रदायिक अजेंडा है, जो संविधान के खिलाफ है। मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट में यह बिल टिक नहीं पाएगा।’’