अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल हवाईअड्डे से कुछ ही दूर एअर इंडिया का विमान ड्रीमलाइनर बोइंग-787 अनियंत्रित हुआ और चिकित्सकों के आवासीय परिसर से टकराने के बाद इसमें सवार 241 यात्री और आवासीय परिसर में कई लोग मौत के मुंह में समा गए। यह मर्माहत करने वाली घटना है। इस घटना के बाद देश-दुनिया के बहुसंख्य लोग विचलित हैं। वे समझ नहीं पा रहे कि अचानक यह हादसा कैसे हो गया। आंखों के सामने विमान आग के गोले में बदल गया। भीषण धमाके और आग की चपेट में आए विमान को देखने वालों की सूचना पर घटनास्थल पर पहुंचे राहत-दल कर्मियों के पास इतना भी समय नहीं बचा था कि किसी यात्री के प्राण बचा पाते। इमारत से टकराने के बाद विमान में सवार लोग निष्प्राण अपरिचित शरीरों में बदल गए। निस्संदेह यह बहुत बड़ा हादसा था।

इस घटना के बाद राज्य और केंद्र सरकार ने हर संभव कदम उठाए। सभी संबंधित एजंसियों ने विपदा की घड़ी में वे सब कार्य किए, जिनकी उस वक्त तत्काल आवश्यकता थी। यह ऐसी विपदा थी, जो मानवीय गलतियों के कारण हुई। अब पुलिस समेत विभिन्न जांच दलों के सामने बड़ी चुनौती होगी कि वे घटना के वास्तविक कारणों और लापरवाही की बारीकी से जांच करें। जांच-बिंदुओं की प्रामाणिकता और सत्यता के आधार पर भविष्य में विमानन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नए प्रबंध उपायों का भी आकलन होना चाहिए। जांच दल को विमान का ‘ब्लैक बाक्स’ मिल गया है। इसके आधार पर जांच के अनुरूप, घटना के मूलभूत कारण या अन्य कारणों की पहचान अति आवश्यक है। ड्रीमलाइनर बनाने वाली कंपनी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगम बोइंग ने अपना जांच दल भारत भेज दिया है। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने भी इस घटना के संबंध में जांच की दिशा में कदम उठा लिया है। देशी-विदेशी विमानन कंपनियों, निगमों, संगठनों, मंत्रालयों तथा संबद्ध प्रतिष्ठानों को घटना के कारणों की तह तक पहुंचना बहुत जरूरी है।

दुर्घटना की भयावहता को देखते हुए सभी चाहते हैं कि विमान के अनियंत्रित होकर गिरने के मूल कारण सामने आएं। अब जांच दलों पर निर्भर है कि वे नागरिक विमानन क्षेत्र के प्रति लोगों का विश्वास कैसे बनाए रख सकते हैं। हादसे के सही कारणों की पड़ताल होने पर भारतीय नागरिक और कार्गो उड्डयन उद्योग के सामने ज्यादा बड़ी चुनौतियां नहीं आएंगी।

बोइंग के ड्रीमलाइनर विमान लंबी दूरी की उड़ानों के लिए उपयोगी माने जाते रहे हैं। इस श्रेणी के पहले विमान ने 14 वर्ष पूर्व पहली उड़ान भरी थी। दुनिया में अभी 1100 ऐसे विमानों का संचालन किया जा रहा है। यह पहली बार है कि सबसे अधिक बिकने वाले विशाल आकार और अत्याधुनिक सुविधाओं वाले बोइंग 787 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अनेक लोगों की जानें गई हैं। विमान विश्लेषण करने वाली कंपनी ‘सिरियम’ के अनुसार अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त बोइंग 787-8 वीटी-एएनबी विमान साढ़े ग्यारह वर्ष पुराना विमान था। इस घटना के बाद अब सरकार के सामने एअर इंडिया के बोइंग 787 विमानों की सुरक्षा और रख-रखाव के कठोर क्रियान्वयन की चुनौती भी पैदा हो गई है। यदि भविष्य में इस चुनौती से पार पाने के उपाय निकाले जाएं, तो विमान यात्रा सुरक्षित होगी, जो आधुनिकता के आधार पर संचालित दुनिया में आम आदमी का भरोसा कायम करने के लिए बहुत जरूरी है।

वैसे तो सरकार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एअर इंडिया और अनेक संस्थाओं ने दिवंगत यात्रियों और अन्य मृतकों के आश्रितों को करोड़ों की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है, लेकिन सभी जिम्मेदार संस्थाओं को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि मुआवजा राशि देने का निश्चय हो या कोई अन्य सेवा या सुविधा, सभी कुछ त्वरित ढंग से और सुगमतापूर्वक होना चाहिए। ऐसी घटनाओं में प्रियजनों को खोने वाले गहन मानसिक आघात से गुजर रहे होते हैं। इसलिए उन्हें मानसिक आघात से उबार कर सामान्य जीवन जीने की प्रेरणा देने का काम भी युद्धस्तर पर किया जाना चाहिए। घटना तो हो चुकी है और उसमें जो जान-माल की हानि हुई है, उसकी भरपाई अब संभव नहीं है, लेकिन दिवंगतों-पीड़ितों के आश्रितों की देखभाल का दायित्व अच्छे से निभाने का अवसर हम सभी के पास अभी उपलब्ध है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों की हर संभव सहायता कर सरकार और समाज आत्मग्लानि से उबर सकते हैं।

अहमदाबाद विमान हादसे के बाद सरकार के पास यह अवसर भी है कि वह विमानन क्षेत्र में सुरक्षा के लिए कुछ ऐसी नई कार्यनीतियां बनाए, जो यात्री विमानों को कम से कम मानवीय चूक से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाने में पूरी तरह सफल हों। सरकार और विमानन कंपनियों को यह कोशिश भी अवश्य करनी चाहिए कि विमान यात्राएं प्राकृतिक आपदाओं में भी सुरक्षित हों। माना जा सकता है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने मानव निर्मित मशीनें और प्रौद्योगिकियां सौ फीसद सुरक्षा का आश्वासन नहीं दे सकती हैं, किंतु इस लक्ष्य बिंदु को ध्यान में रख कर विमानन क्षेत्र के आविष्कारों और सेवा-सुविधाओं को इतना प्रभावशाली तो बनाया ही जा सकता है कि अहमदाबाद जैसा विमान हादसा दोबारा कभी न घटे।

वैज्ञानिक प्रगति के फलस्वरूप विद्यमान विभिन्न सेवाएं-सुविधाएं एक संतुलित उपयोग की अपेक्षा भी करती हैं। यह पूरी तरह मनुष्य पर निर्भर है कि वह आधुनिक चीजों का संतुलित उपयोग ही करे। यह सिद्धांत दिनोंदिन तिरोहित होता जा रहा है और इसी के परिणामस्वरूप आज हम एक ऐसी विमान त्रासदी देख रहे हैं, जिसने एक झटके में कई लोगों के प्राण ले लिए। आधुनिक व्यवस्थाओं के प्रतिनिधियों के सामने यात्रियों को जलते होते हुए देखने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। यही विज्ञान का अभिशाप है। लेकिन जीवित समाज और लोग परास्त होकर हाथ पर हाथ धरे बैठे भी तो नहीं रह सकते हैं। जीवन के सामने जो आदर्श स्थिति है, वह यही शिक्षा देती है कि आगे सब कुछ ठीक करना है। बस इसी शिक्षा के साथ सरकार और लोगों को आगे भविष्य में विमानन क्षेत्र के लिए जितना संभव हो सकता है, उतना सुरक्षित वातावरण बनाते हुए विमान-यात्राओं को नवीनतम सुरक्षा उपायों द्वारा सुरक्षित करना होगा।

मानव निर्मित विपदा की स्थिति में हमें लगातार अपने मानवीय दायित्वों से जुड़ना सीखना होगा। जहां तक सुरक्षा उपायों को दायित्व-भाव के साथ अपनाने और नियोजित करने की बात है, तो ऐसा दृष्टिकोण केवल विमानन-क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि रेल और सड़क मार्ग की यात्राओं के लिए भी होना चाहिए। ऐसा होने से किसी भी क्षेत्र में मानवनिर्मित आपदाओं और दुर्घटनाओं की संभावना वास्तव में बहुत कम हो जाएगी। अब प्रयास यही हो कि मानवीय गलती से किसी भी तरह के हादसे न हों। अगर हो भी जाए, तो उसका नुकसान कम से कम हो। आधुनिकता और रफ्तार के बीच मानवीय मूल्यों और सरोकार के साथ नागरिकों की सुरक्षा भी सर्वोपरि हो। इस संकल्प के साथ सड़क-रेल व विमानन परिवहन से यात्रा को सुरक्षित बनाया जा सकता है।