केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कृषि कानूनों के मुद्दे पर राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने तीनों कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि यह किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। तोमर ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि नए कानूनों को लेकर लोगों को बरगलाया जा रहा है। उन्होंने इशारों में मौजूदा आंदोलन को पंजाब का मसला बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक राज्य का मामला है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और नए कानूनों का मकसद किसानों की आय में वृद्धि करना है। तोमर ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक राज्य का मसला बताया और कहा कि नए कानूनों में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं, जिनसे किसानों की जमीन छिन जाने का खतरा हो।
तोमर ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्षी नेता नए कानूनों को काला कानून बता रहे हैं लेकिन वे यह नहीं बता रहे हैं कि इसमें गड़बड़ी क्या है। कृषि मंत्री ने कहा कि वह पिछले दो महीनों से किसान यूनियनों से सवाल कर रहे हैं कि वे बताएं कि कानून में ‘काला’ क्या है? उन्होंने मौजूदा आंदोलन को एक राज्य का मसला करार दिया और कहा कि किसानों को बरगलाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कृषि मंत्री ने बुधवार को कहा था कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसी तरह की अनौपचारिक वार्ता नहीं कर रहा है। उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आसपास अवरोधक मजबूत किए जाने तथा इंटरनेट पर रोक लगाने की बात को स्थानीय प्रशासन से संबंधित कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया था। दरअसल, किसानों का कहना है कि अगर उनके प्रदर्शनस्थलों के पास इस तरह की कीलों और बाड़ों की घेराबंदी की जाती है, तो इससे सरकार से बातचीत में मुश्किलें पैदा होंगी।
बता दें कि प्रदर्शन में शामिल 41 यूनियनों और केंद्र के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को बेनतीजा रही थी। केंद्र ने यूनियनों से कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के सरकार के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है।